रायपुर। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय आज कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्यपाल को कृषि बिल के विरोध में ज्ञापन सौंपने के बाद एक बयान जारी कर मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार कृषि क्षेत्र में भी ज़ोर-शोर से निजीकरण ला रही है। 2022 तक किसानों का मुनाफा दोगुना करने का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार जब तक एक नया बिल नहीं लाती है, जो किसानों को एमएसपी की गारंटी दे, स्वामीनाथन फॉर्मूला, जिसका भाजपा ने 2014 में वादा किया था। तब तक सरकार 2022 तो क्या, वर्ष 2032 तक भी किसानों की आय दोगुनी नहीं कर पायेगी।
विकास उपाध्याय ने सवाल किया कि क्या इनमें से कोई भी बिल है जो फ़सल का रेट तय करने की बात करता हो? किसान इसी की माँग कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी भी। उन्होंने तो इस बात पर जोर देते हुए कहा खुद किसानों के नियंत्रण वाले बाज़ार होने चाहिए। विकास उपाध्याय ने यहाँ तक कहा जब केंद्र सरकार राज्य सरकारों के विषय कृषि में अतिक्रमण कर ही चुकी है, तो मोदी सरकार के पास इस बिल को जिसमें एमएसपी तय हो को ना लाने का और इसे पास ना कराने का भला क्या कारण होगा? सिर्फ एक ही कारण हो सकता है कि मोदी सरकार किसानों की नहीं वह कॉरपोरेट घरानों की ही हितैषी है। विकास उपाध्याय ने ऐसी स्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव का वकालत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत क़ानून पारित करने के संदर्भ में विलम्ब नहीं करना चाहिए।