AFSPA in Manipur: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार (14 नवंबर, 2024) से मणिपुर में जारी जातीय हिंसा (manipur violence)के मद्देनजर पांच जिलों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया।

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केंद्र सरकार के आदेश के तहत इम्फाल पश्चिम में सेकमाई और लामसांग पुलिस थानों की सीमा, इम्फाल पूर्व में लामलाई, जिरीबाम में जिरीबाम थाना सीमा, बिष्णुपुर में मोइरांग और कांगपोकपी जिले में लीमाखोंग में AFSPA लागू किया है। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं।

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इसलिए लागू किया गया AFSPA

मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार (11 नवंबर 2024) को सैनिकों की वर्दी पहनकर आए उग्रवादियों ने एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। इस एनकाउंटर के अगले दिन यानी 12 नवंबर को सशस्त्र आतंकवादियों ने जिले से महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों को अगवा कर लिया। इस घटना के बाद से इलाके में तनाव और बढ़ गया है। 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में कम से कम 14 लोग मारे गए हैं, जिनमें तीन पुरुष और महिलाएं शामिल हैं. हालात बिगड़ते देख केंद्र सरकार ने AFSPA लागू करने का फैसला किया।

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6 मैतैयी महिला-बच्चों की कैडनैपिंग का मामला पकड़ा तूल

इधर मैतेयी समुदाय की महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों को अगवा करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दिल्ली मेतेयी कोऑर्डिनेटिंग कमेटी की महिला विंग ने गुरुवार को मणिपुर के जिरीबाम से अपहृत छह लोगों की सुरक्षित और त्वरित रिहाई की अपील की है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। मैतेयी महिला नेताओं ने एक बयान में कहा कि अपहृत व्यक्तियों की रिहाई के लिए सरकार के उच्चतम स्तर से तत्काल और गंभीर हस्तक्षेप जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अपहृत लोगों को नुकसान पहुंचाया गया तो इसे संबंधित अधिकारियों की मौन स्वीकृति के रूप में देखा जा सकता है।

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महिला नेताओं ने कहा, “सरकार को यह समझना चाहिए कि इन महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा केवल मानवीय मुद्दा नहीं है, बल्कि मणिपुर में शांति और एकता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की परीक्षा भी है। इसलिए, महिला नेताओं ने कहा कि गृह मंत्री और प्रधानमंत्री की तुरंत और स्पष्ट भूमिका जरूरी है।

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जातीय हिंसा में अबतक मारे जा चुके हैं 200 से अधिक लोग

बता दें कि मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मणिपुर के इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। जिरिबाम पहले इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई हिंसा से काफी हद तक बचा हुआ था।लेकिन इस साल जून में यहां एक किसान का बुरी तरह विकृत शव मिला। इसके बाद यहां भी हिंसा हुई।

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