नई दिल्ली. गुजरात के चर्चित सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में 13 साल बाद शुक्रवार को फैसला आया, जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में 38 लोगों पर आरोप लगे थे, जिनमें से 16 पहले ही बरी हो चुके हैं. इसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी थे, जिसकी वजह से यह राजनीतिक लिहाज से भी सुर्खियों में रहा. लेकिन 2014 में उन्हें मामले से बरी कर दिया गया.
कोर्ट ने सभी गवाहों और सबूतों को असंतोषजनक करार देते हुए यह फैसला सुनाया. इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ को फर्जी मानने से इन्कार कर दिया है. स्पेशल सीबीआइ जज ने अपने आदेश में कहा कि साजिश और हत्या साबित करने के लिए मौजूद सभी गवाह और प्रमाण संतोषजनक नहीं हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि परिस्थिति संबंधी साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि तुलसीराम प्रजापति की हत्या एक साजिश के तहत हुई, यह बात सच नहीं है. विशेष सीबीआई न्यायालय ने अपना फैसला पढ़ते हुए आगे कहा, ‘सरकारी मशीनरी और अभियोजन पक्ष ने बहुत सारे प्रयास किए, 210 गवाहों को लाया गया, लेकिन संतोषजनक सबूत नहीं मिले. अगर गवाह नहीं बोलते हैं तो अभियोजक की कोई गलती नहीं है.’
इन 10 बातों से जानिए पूरा मामला…
- गुजरात पुलिस ने नवंबर 2005 में सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया था. पुलिस का कहना था कि उसके संबंध लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से थे और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे, की हत्या की साजिश कर रहा था.
- सीबीआई ने कहा कि कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख 22 नवंबर, 2005 को अपनी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के साथ हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहा था, जब गुजरात पुलिस ने उन्हें एक बस से अगवा कर लिया.
- सीबीआई के मुताबिक चार दिन बाद 26 नवंबर, 2005 को सोहराबुद्दीन की अहमदाबाद के पास हत्या कर दी गई. इसके तीन दिन बाद 29 नवंबर को उसकी पत्नी कौसर बी, जो कथित तौर पर लापता हो गई थी, की बनासकांठा में रेप के हत्या हत्या कर दी गई और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया.
- जांच एजेंसी ने कहा कि इस घटना के करीब साल भर बाद 27 दिसंबर, 2006 को प्रजापति को गुजरात और राजस्थान पुलिस ने दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित चापरी के नजदीक मार गिराया.
- पुलिस ने दावा किया कि तुलसीराम प्रजापति को कोर्ट में सुनवाई के बाद अहमदाबाद से राजस्थान ले जाया जा रहा था, जब उसने भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोली चला दी. इसके बाद पुलिस की ओर से आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई में वह मारा गया.
- इस मामले में सीबीआई ने 38 लोगों को नामजद किया, जिनमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी थे. शाह उस वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे. शाह के अलावा राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा का नाम भी आरोपियों में शामिल था. हालांकि बाद में ये सभी सबूतों के अभाव में बरी हो गए.
- अमित शाह को मामले से बरी करते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि उनका नाम इस मामले में राजनीतिक कारणों से घसीटा गया.
- राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील इस मामले को सितंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात से मुंबई स्थानांतरित किया गया.
- मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 210 गवाहों से पूछताछ की. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए.
- अभियोजन पक्ष के दो गवाहों आजम खान और महेंद्र जाला ने बुधवार को याचिका दायर कर कोर्ट से उनसे दोबारा पूछताछ किए जाने की अपील की थी. आजम खान ने अपनी याचिका में कहा कि सोहराबुद्दीन शेख पर गोली चलाने के आरोपी और पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा. हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.