साइंस डेस्क. गेहूं का जीनोम तैयार करना अभी तक वैज्ञानिकों के लिए काफी मुश्किल था. लेकिन 13 साल की लगातार कोशिश के बाद वैज्ञानिकों ने गेहूं का जीनोम तैयार कर दिया है. शुक्रवार को इंटरनेशनल व्हीट जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्शियम (IWGSC) ने जर्नल साइंस में गेहूं के जीनोम का ब्योरा छापा है. गेहूं के जीनोम तैयार करना एक अहम मकसद था.

दुनिया भर में गेहूं की खेती होती है और खाद्य आपूर्ति में भी इसका अहम योगदान है. एशिया, कनाडा और हाल ही में नॉर्दन यूरोप में लू की वजह से गेहूं की फसल का नुकसान हुआ है. कीटों और क्लाइमेट चेंज की वजह से भी गेहूं की फसल का नुकसान हो रहा है जबकि मांग लगातार बढ़ती जा रही है.

2050 तक दुनिया भर की आबादी 9.6 अरब हो जाएगी. इस हिसाब से खाद्य आपूर्ति के लिए हर साल गेहूं के उत्पादन में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी जरूरी है. जीनोम तैयार होने के बाद अब किसानों और वैज्ञानिकों को यह मालूम है कि गेहूं की उत्पादकता कैसे बढ़ाई जा सकती है. इसकी मदद से न सिर्फ गेहूं की पैदावार बेहतर होगी बल्कि वैरायटी भी बढ़ेगी.