भोपाल। भारत में 7 दशक बाद फिर से चीता युग की शुरुआत हो गई है. नामीबिया से 8 चीतों को लेकर एक विशेष विमान ग्वालियर पहुंचा. जिसमें 3 नर और 3 मादा चीते शामिल हैं. जिन्हें चिनूक हेलिकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क ले आया गया है. जहां पीएम मोदी चीतों को बाड़ों में छोड़ेंगे. देश के साथ ही मध्यप्रदेश को अपने जन्मदिन पर चीतों की सौगात देंगे.
75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीता देखा गया था. छत्तीसगढ़ में कोरिया के महाराजा ने 3 चीता शावकों का एक साथ शिकार किया था. वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था. इसके बाद आज 17 सिंतबर को देश में फिर से चीतों की वापसी हुई है.
महाराजपुरा एयर फोर्स स्टेशन पर पीएम इन वेटिंग मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि आज प्रधानमंत्री का जन्मदिन है और अपने जन्मदिन के दिन वह आज मध्यप्रदेश आ रहे हैं. यह हम सब के लिए गौरव का क्षण है. यह क्षण तब और ज्यादा बढ़ जाता है, जब वह मध्य प्रदेश को ऐसी ऐतिहासिक सौगात दे रहे हैं जो देश में और कहीं नहीं है वे कूनो के पार्क में आज चीते देंगे और हिंदुस्तान के नक्शे पर एक नई इबारत लिखने जा रही है. ऐसा व्यक्ति जिसने देश के अंदर से 370 हटाई हो राम मंदिर का शिलान्यास किया हो एयर स्ट्राइक की हो ऐसा व्यक्ति जिसने सीएए हटाकर देश के नागरिकों को बड़ा भरोसा दिया है. ऐसा व्यक्ति आज मध्यप्रदेश की जमीन पर आ रहा है. हम सब जब चीते छोड़े जाएंगे उस देश के साक्षी बनेंगे.
प्रधानमंत्री का मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम
सुबह 9.45 मिनट पर विशेष विमान से ग्वालियर आगमन
10.30 बजे हेलिकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे
10.45 से 11.45 बजे चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे
11.50 बजे कराहल पहुंचेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
12 से 1 बजे तक महिला स्व सहायता समूह सम्मेलन में शामिल होंगे
2.15 बजे ग्वालियर एयपोर्ट पहुंचेंगे प्रधानमंत्री
दोपहर 2.20 मिनट पर ग्वालियर से रवाना होंगे
4 घंटे 35 मिनट का रहेगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दौरा
प्रधानमंत्री मोदी श्योपुर जिले के कराहल के मॉडल स्कूल ग्राउंड में दोपहर 12 बजे महिला स्व-सहायता समूहों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी विशेष पिछड़ी जनजाति समूह कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों शिवपुरी, मण्डला, शहडोल और तामिया का ई-लोकार्पण करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रमों में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय नागरिक विमानन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केन्द्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रदेश के वन मंत्री कुँवर विजय शाह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित-जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण (स्वतंत्र प्रभार) एवं नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल और खजुराहो सांसद व्ही.डी. शर्मा की गरिमामय उपस्थिति रहेंगे.
भारत में वर्ष 1952 से विलुप्त घोषित ‘चीता’ वर्ष 2022 में दोबारा पुनर्स्थापित हुआ है. इसके पूर्व चीता पुनर्स्थापना के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों की चर्चा हुई. प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए किये गये संभावित क्षेत्रों के सर्वेक्षण में देश में चयनित 10 स्थान में से प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को सर्वाधिक उपयुक्त पाया.
यह ऐतिहासिक है कि इस कार्य का शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी के कर-कमलों से हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी दो बाड़ों में चीतों को छोड़ेंगे. पहले बाड़े में दो नर चीते छोड़े जाएंगे. दूसरे बाड़े में एक मादा चीता को छोड़ा जाएगा. वन विभाग के अधिकारियों के दल ने नामीबिया की चीता प्रबंधन तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. परियोजना के एकीकृत प्रबंधन में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्तता है. इसके अतिरिक्त करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिले श्योपुर और शिवपुरी में चीतों के स्वच्छंद विचरण के लिए उपयुक्त है.
स्व-सहायता समूहों की बहनों का सम्मेलन
प्रधानमंत्री मोदी श्योपुर जिले के कराहल में महिला स्व-सहायता समूहों के सम्मेलन में शिवपुरी, मण्डला, शहडोल और तामिया के विशेष पिछड़ी जनजाति समूह कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों का ई-लोकार्पण करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी स्व-सहायता समूहों की बहनों से संवाद कर उद्यमशीलता की जानकारी प्राप्त करेंगे. प्रदेश में महिला सशक्तिकरण और उन्मुखीकरण के लिये म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में 3 लाख 86 हजार स्व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं. इन समूहों से 43 लाख से अधिक परिवार जुड़े हैं. समूहों द्वारा सब्जी उत्पादन, दुग्ध उत्पादन, अगरबत्ती, हैण्डवॉश, साबुन निर्माण, कृषि और पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियाँ और आजीविका पोषण वाटिका के संचालन संबंधी कार्य किये जा रहे हैं.
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