रायपुर- छत्तीसगढ़ के स्पंज आयरन उद्योग राॅ मटेरियल की किल्लत से जूझ रहे हैं. आयरन ओर की सप्लाई में तमाम तरह की अड़चनों के बीच उद्योगों को पैलेट से उम्मीदें थी कि इसकी आपूर्ति से उत्पादन प्रभावित नहीं होगा, लेकिन चीन समेत कई देशों में पैलेट की बढ़ती डिमांड के बीच राज्य के बड़े उद्योगों की रूचि स्थानीय उद्योगों की बजाए एक्सपोर्ट में बढ़ी है. चूंकि पैलेट की सप्लाई से जुड़े कारोबार में चुनिंदा प्लेयर ही काबिज हैं, लिहाजा स्पंज आय़रन उद्योगों की मजबूरी है कि बढ़ी हुई दर पर इसकी आपूर्ति बहाल रखी जाए. इधर जानकार बताते हैं कि पैलेट की सप्लाई के लिए राज्य स्तर पर किसी तरह की कोई नीति नहीं है, जिसका फायदा उठाया जा रहा है. यह नीति केंद्र निर्धारित करती हैं, लिहाजा राज्य इस पर प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
स्पंज आयरन उद्योगों से जुड़े जानकार बताते हैं कि राजधानी के उरला औद्योगिक क्षेत्र में ही करीब डेढ़ सौ स्पंज आयरन उद्योग संचालित हो रहे हैं. आयरन ओर की सप्लाई चेन में कई तरह की तकनीकी दिक्कतें हैं. आयरन ओर की सप्लाई के लिए उद्योग एनएमडीसी पर निर्भर हैं. उद्योगों की तरफ से एनएमडीसीआयरन ओर की डिमांड जाती है. सप्लाई के पहले ही भुगतान किया जाता है, इसके बाद भी उद्योग तक आयरन ओर पहुंचने में एक महीने से ज्यादा का वक्त लग जाता है, जबकि पैलेट आसानी से मिल जाता है. स्पंज आयरन उद्योग की इसी जरूरत का फायदा पैलेट सप्लाई करने वाले चार-पांच उद्योग समूह उठा रहे हैं.
जानकारों की माने तो पैलेट की वर्तमान दर करीब 6 हजार रूपए प्रति मीट्रिक टन हैं, जबकि इसकी आपूर्ति करने वाले उद्योग 9 हजार रूपए की दर पर सप्लाई की जा रही है. इससे पैलेट को स्पंज आयरन में कन्वर्ट करने में उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में स्पंज आयरन उद्योग चलाने वाले यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या अधिक मुनाफा के लिए राज्य के स्पंज आयरन उद्योगों से ऊंचे दर पर वसूली की जा रही है? क्या सरकार प्रत्यक्ष तौर पर इस मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकती?
क्या अवैध तरीके से किया जा रहा निर्यात?
पैलेट की सप्लाई का नियंत्रण केंद्र सरकार की एजेंसी केआईओसीएल के अधीन है. भारत सरकार की पूर्व में जारी अधिसूचना कहती है कि दूसरे देशों में पैलेट का निर्यात केआईओसीएल ही कर सकती है. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि राज्य के कुछ चुनिंदा उद्योग जो सीधे चीन समेत कई देशों में पैलेट का निर्यात कर रहे हैं, उन्हें किस आधार पर यह छूट दी गई है? क्या यह निर्यात अवैध तरीके से हो रहा है? स्पंज आयरन उद्योग चलाने वाले उद्योगपतियों ने कई मर्तबा इन विषयों को सरकार के संज्ञान में लाया है, बावजूद इसका अब तक निराकरण नहीं निकला है. आयरन ओर की सप्लाई में आ रही अड़चनों के बीच पैलेट भी उद्योगों के लिए इन दिनों एक बड़ा संकट बनता नजर आता है, जाहिर है यदि उद्योगों की इन समस्याओं की सुनवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में हालात और बुरे हो सकते हैं.