स्पोर्ट्स डेस्क- भारत और चीन के बीच विवाद गहराया तो चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर देश की जनता ने आवाज उठाना शुरु कर दिया, कई जगह पर चीनी सामानों की होली जला दी गई, कई जगह पर लोग चीनी सामानों के बहिष्कार करने के संकल्प के साथ सामने आए, तो कई लोगों ने चीनी सामानों के बहिष्कार के लिए प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिया, मतलब साफ चीन के खिलाफ भारतीय जनमानस का गुस्सा देखा जा सकता है।

ऐसे में अब बीसीसीआई पर भी एक बड़ा दबाव बन रहा है, और वो है आईपीएल की टाइटल प्रायोजक वीवो से कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की। लेकिन क्या ये बीसीसीआई के लिए इतना आसान है, क्या बीसीसीआई ऐसा करेगा, एक तरह से देखा जाए तो ये आसान काम नहीं है बल्कि बहुत मुश्किल काम है और बड़े और  बोल्ड फैसले की जरूरत पड़ेगी, जो अभी के हालातों को देखते हुए मुश्किल ही लग रहा है।

वैसे भी बीसीसीआई तो  अबतक यही कहता रहा है कि उसका वीवो के साथ संबंध तोड़ने का कोई इरादा नहीं है।
आईपीएल संचालन परिषद की बैठक में हिस्सा लेने वाले एक अधिकारी ने इस दिशा में संकेत दिए हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि हमें अभी भी टी-20 वर्ल्ड कप, एशिया कप की स्थिति के बारे में पता नहीं है तो फिर हम बैठक कैसे कर सकते हैं, हां हमें प्रायोजन पर चर्चा की जरूरत है, लेकिन हमने इसे कभी रद्द या खत्म करने जैसे शब्दों का उपयोग नहीं किया है।

अधिकारी ने कहा है कि हमने कहा है कि हम प्रायोजन की समीक्षा करेंगे, समीक्षा का मतलब है कि हम करार के सभी तौर तरीकों की जांच करेंगे, अगर करार खत्म करने का नियम वीवो के अधिक पक्ष में होता है तो फिर हमें 440 करोड़ रुपए हर साल के करार से क्यों हटना चाहिए, हम तभी इसे खत्म करेंगे जब करार खत्म करने का नियम हमारे पक्ष में हो।

एक तरह से देखा जाए तो करार खत्म ना करने की एक वजह वीवो के साथ 2022 तक का कॉन्ट्रैक्ट भी है, अगर बीसीसीआई अचानक से कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करता है तो उसे वीवो को मुआवजा देना पड़ सकता है, कोरोना वायरस की वजह से पहले ही बोर्ड को काफी नुकसान झेलना पड़ा है, इसलिए बीसीसीआई ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचना चाहता है।

गौरतलब है कि वैसे भी बीसीसीआई कोरोना वायरस की वजह से मौजूदा साल आईपीएल का आयोजन अबतक नहीं करा सकी है, और अभी भी आईपीएल के आयोजन को लेकर कयासों का बाजार गर्म है, अगर मौजूदा साल बीसीसीआई आईपीएल का आयोजन नहीं करवा पाती है तो फिर बीसीसीआई को करीब 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। जो बीसीसीआई के लिए भी इस नुकसान को झेलना इतना आसान नहीं होगा।