दिलशाद अहमद, सूरजपुर. जिले के महेशपुर गांव में एक युवक 18 सालों अपने ही घर में बंधक बनकर जीने को मजबूर है. ये किसी जुर्म की सजा नहीं का रहा है, बल्कि इसका गुनाह सिर्फ इतना है कि उसकी मानसिक स्थित ठीक नही है और उसने एक गरीब परिवार में जन्म लिया है. आर्थिक स्थित ठीक न होने के कारण परिवार कि लोग युवक का इलाज कराने असमर्थ है. इसलिए मां-बाप ने अपनी लाचारी के चलते अपने ही बेटे के पैरों में बेड़ियां डाल दी.

बिना कपड़ों के रस्सी से बंधा ये शख्स है उपेन्द्र, जो की 18 सालों से ऐसे ही बेड़ियों में जकड़ा हुआ है. उपेन्द्र शुरू से ऐसा नहीं था और ना ही किसी बिमारी से ग्रसित था. लेकिन एक दिन अचानक ही ऐसी हरकत करने लगा कि पिता को इसे काबु में करना मुश्किल हो गया और बेकाबु हो रहे बेटे को काबु में करने के लिए पिता ने ही अपने बेटे के हाथ-पैर में जंजीर डाल दी.

मानसिक रूप से बीमार उपेन्द्र के पिता आनंद वैष्णव नहीं चाहते कि उसका बेटा गांव में किसी को परेशान करें. इसलिए उसे बांध के रखते है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने अपने बेटे के ईलाज के लिए कोई प्रयास नहीं किया. उनके बस में जितना था वो सब किया. पिता ने बताया की सूबे के मंत्री रामसेवक पैकरा भी आये थे और सहायता के रूप में इलाज कराने का वादा कर चले गये.

पिता ने बताया कि मानसिक रुप से बीमार उपेन्द्र पहले ऐसा नहीं था. जब उसकी मानसिक हालत खराब हुई, उस वक्त वह कक्षा 11वी में पढ़ रहा था. इसी बीच एक दिन स्कूल से लौटते वक्त उपेन्द्र ने गांव के तालाब में स्नान किया और उसके बाद से ही उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई. जिसके बाद मजदूर मां-बाप ने अपनी हैसियत के मुताबिक बेटे इलाज कराया. लेकिन बाद में पैसों के आभाव के चलते उसका इलाज नहीं हो सका. और अंत में माता पिता ने बेटे को बेड़ियों में जकड़ दिया. जिसके बाद करीब 18 साल से उपेन्द्र बेड़ियों में ही जकड़ा हुआ है.

वहीं जब इस पुरे मामले कि जानकारी सूरजपुर के एसडीएम विजेन्द्र सिंह पाटले को दी गई तो उन्होंने मामले की जानकारी एकत्र कर पिड़ित का इलाज कराये जाने का आश्वासन दिया है.