मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने जांच कर रहे अधिकारियों पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया कि इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य का नाम लेने के लिए उन पर दबाव डालने की कोशिश की थी.
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को दी राहत
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार (31 जुलाई 2025) को प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उन्हें (आरोपियों को) दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन केवल सात लोगों पर ही मुकदमा चला, क्योंकि आरोप तय होने के समय बाकी सात को बरी कर दिया गया था.
‘अधिकारियों ने झूठ बोलने के लिए प्रताड़ित किया’
प्रज्ञा ठाकुर ने शनिवार (2 अगस्त 2025) को कहा, “उन्होंने मुझसे कई लोगों के नाम लेने को कहा, जिनमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव भी शामिल हैं. यह सब करने के लिए उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया. मेरे फेफड़े जवाब दे गए, मुझे अस्पताल में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया. मैं गुजरात में रहती थी इसलिए उन्होंने मुझसे पीएम मोदी का नाम लेने को भी कहा. मैंने किसी का नाम नहीं लिया क्योंकि वे मुझे झूठ बोलने पर मजबूर कर रहे थे.”
प्रज्ञा ठाकुर का दावा उस मामले में आए फैसले के तुरंत बाद आया है जिसमें बयान से पलटने वाले एक गवाह ने भी दावा किया था कि उसे योगी आदित्यनाथ और आरएसएस से जुड़े चार अन्य लोगों को फंसाने के लिए मजबूर किया गया था. इसमें आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य इंद्रेश कुमार भी नाम शामिल था.
एटीएस के पूर्व सदस्य ने भी लगाया आरोप
एटीएस के पूर्व सदस्य महबूब मुजावर ने भी दावा किया था कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया था. हालांकि मुजावर ने शुक्रवार को भी दावा किया कि इस आदेश का उद्देश्य जांच को गलत दिशा में ले जाना और इसे भगवा आतंकवाद का मामला बनाना था.
मालेगांव विस्फोट मामला
देश में सबसे लंबे समय तक चले आतंकवादी मामलों में से एक 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात लोगों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने, आईपीसी के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में मुकदमे चलाये गये. मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 घायल हुए थे.
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