भगवान श्री गणेश की जन्म कथा बड़ी ही रोचक है और इस कथा से सभी वाकिफ भी हैं. श्री गणेश का सिर महादेव द्वारा उनके धड़ से अलग हुआ था और फिर उनके असली शीश के बदले में उन्हें एक गज यानी कि हाथी के बच्चे का सिर लगाया गया था. गजानन को हाथी का शीश तो लगा दिया गया था, लेकिन उनके असली शीश का क्या हुआ और वो इस समय कहा हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर उनके धड़ से अलग किया था तब वह सिर धरती के नीचे पाताल में स्थित एक गुफा में आकर गिरा था. धार्मिक शास्त्रों में गणेश जी का वास्तविक मुख चंद्रमंडल में जाने का उल्लेख मिलता है. बाद में इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी. आदि शंकराचार्य जी को जब यह गुफा मिली तब उन्होंने भगवान गणेश के शीश को स्थापित किया और यहां उनके सिर की पूजा का विधान शुरू किया. बता दें कि आज के समय में यह गुफा पाताल भुवनेश्वर के नाम से जानी जाती है. Read more – अंबानी परिवार की गणेश चतुर्थी पूजा में पहुंची Rekha, डॉर्क मरून कलर की साड़ी में लगी कयामत …
बता दें कि पाताल भुवनेश्वर नाम से प्रसिद्ध यह स्थान उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है. इस गुफा को लेकर एक मान्यता ये भी है कि भगवान शिव यहां स्वयं गणेश जी के सिर की रक्षा करते हैं और उसका ध्यान रखते हैं. पाताल भुवनेश्वर गुफा एक छोटे से क्षेत्र में कई रहस्य को समेटे हुए हैं. कहें तो रहस्य का ब्रहमांड है. गुफा में प्रवेश करने के बेहद छोटा, संकरा और टेढ़ा मेड़ा रास्ता है. गुफा में निचे जाने के लिए रास्ता तीन फीट चौड़ा और चार फीट लंबा है तथा प्रवेश के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है. Read More – Ganesh Chaturthi Recipe : बप्पा को लगाएं चॉकलेट मोदक का भोग, बप्पा हो जाएंगे खुश …
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