भुवनेश्वर: बिहार के बाद, ओडिशा सरकार जल्द ही पिछड़े वर्गों पर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित करने की योजना बना रही है. ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (ओएससीबीसी) ने हाल ही में राज्य सरकार को अपनी सर्वे रिपोर्ट सौंपी है. जानकारी के मुताबिक ओएससीबीसी ने इस साल मई और जुलाई के बीच एक सर्वेक्षण किया था. जिसके अनुसार 4.7 करोड़ आबादी में से 42% फीसदी जनता 208 पिछड़े जाती के हैं. सूत्र ने बताया कि सरकार जल्द ही ओबीसी सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित कर सकती है.

बीजद के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री देबी प्रसाद मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि तकनीकी विशेषज्ञ डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “सरकार ओबीसी की उचित गणना करने और उन्हें लाभ देने के अपने इरादे को लेकर स्पष्ट है. आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है.’


जुलाई में हुआ था सर्वे

सुत्रों के मुताबिक ओएससीबीसी ने 1 मई से 10 जुलाई तक पिछड़े वर्गों की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति पर सर्वेक्षण किया है. प्राथमिक स्तर पर पहचाने गए ओबीसी लोगों को 19 मई तक स्वेच्छा से अपने व्यवसाय और शैक्षिक योग्यता की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था. इसके बाद घर-घर जाकर शेष आबादी को कवर किया गया है. इसके अलवा लिए घर-घर जाकर गणना करना और सत्यापित किए डॉक्युमेंट्स की भी जांच की गई है.

विपक्षियों ने साधा निशाना

विपक्षी कांग्रेस ने जहां सर्वेक्षण में देरी के लिए सरकार पर निशाना साधा, वहीं भाजपा ने सर्वे तरीकों पर सवाल उठाया है. भाजपा विधायक गौरी नायक ने कहा कि सरकार ने यह सर्वे जामीनी स्तर पर ठीक से नहीं किया है. उन्होंने कहा, “अगर वे ठीक से घर-घर जाते, तो सही डेटा तैयार होता. लेकिन सरकार की यह सर्वे काफी हद तक स्वैच्छिक था, जिसमें लोगों को पहचान के लिए दस्तावेजों के साथ सर्वेक्षण केंद्रों पर जाना पड़ता था. इस प्रक्रिया में, कई लोग छूट गए है.’


मिश्रा बोले एसी दफ्तरों में बेठकर हुआ है सर्वे

वरिष्ठ कांग्रेस विधायक नरसिंह मिश्रा ने कहा कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ओबीसी का विकास चाहती है. उन्होंने कहा, “वे ओबीसी विरोधी हैं. यह सरकार बस सर्वे का ढोंग कर रही है. हमे पता है कि जमीनी स्तर का हकिकत क्या है. सरकारी अफसरों ने अपने एसी दफ्तरों में बेठकर यह सर्वे किया है.