रायपुर। बिहार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों के उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में बयानबाजी तेज हो गई है. वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया के जरिए कहा कि चुनाव परिणाम पर आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है. वहीं पार्टी लाइन से बयान देने वालों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने करारा जवाब दिया है. ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व का सवाल पार्टी का अंदरूनी मसला है. इस पर सार्वजनिक रूप से बात करना ठीक नहीं. किसी को भी इससे बचना चाहिए.
कांग्रेस पार्टी ही इस देश की मनोभावना का प्रतीक है और सांप्रदायिक ताक़तों के ख़िलाफ़ खड़ी एकमात्र पार्टी है. इतिहास गवाह है कि कांग्रस ने हर चुनौती का सामना किया है और अपने लाखों कार्यकर्ताओं के साथ फिर फिर उठ खड़ी हुई है.
सोनिया जी और राहुल जी के नेतृत्व पर हर कांग्रेस कार्यकर्ता का अटूट भरोसा है. हार, जीत लोकतंत्र का हिस्सा है. किसी भी हार से न तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है और न नेतृत्व हार मानता है. छत्तीसगढ़ उदाहरण है कि हम 15 साल बाद भी लौट सकते हैं और ठीक तरह से लौट सकते हैं.
बता दें कि कांग्रेस नेता तारिक अनवर, शिवानंद तिवारी व कपिल सिब्बल ने कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल उठाया था. उन्होंने पिछले 6 साल के परिणामों पर आत्मनिरीक्षण करने की बात कही थी. सिब्बल ने कहा था कि देश के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए, जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते. यह एक निष्कर्ष है. आखिर बिहार में एनडीए का विकल्प आरजेडी ही थी. हम गुजरात में सभी उपचुनाव हार गए. लोकसभा चुनाव में भी हमने वहां एक भी सीट नहीं जीती थी. उत्तर प्रदेश के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 2 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल किए. गुजरात में हमारे तीन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत खो दी. हालांकि, मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस इन सबकों लेकर आत्मनिरीक्षण करेगी.