लखनऊ। लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका मिला है. लेकिन सबसे ज्यादा किरकिरी फैजाबाद (अयोध्या) में मिली हार को लेकर हो रही है. हार के कारणों की समीक्षा के बाद अब योगी सरकार ने अयोध्या के व्यापारियों के लिए अपनी नीति में बदलाव करते हुए व्यापार-प्रथम दृष्टिकोण से स्थानीय हितों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है.

राम पथ के निर्माण के लिए फैजाबाद और अयोध्या के बीच सैकड़ों दुकानें ध्वस्त कर दी गईं. शुरुआत में दुकानदारों को नई दुकानें खरीदने के लिए 20 से 25 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान करना पड़ता था, यह एक ऐसी शर्त थी जिसे कई स्थानीय व्यापारी पूरा नहीं कर पाते थे. अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा लगाई गई उच्च लागत के कारण इस नीति ने उन्हें नई दुकानें खरीदने से प्रभावी रूप से रोक दिया.

चुनाव के बाद योगी सरकार ने राम पथ परियोजना से प्रभावित स्थानीय व्यापारियों की सहायता के लिए एक बड़े नीतिगत बदलाव की घोषणा की. नई नीति विस्थापित दुकानदारों को ब्याज मुक्त दीर्घकालिक किस्त योजनाओं के माध्यम से 500 नवनिर्मित दुकानों को खरीदने की अनुमति दी गई है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा को 80 में से केवल 33 सीटें मिलीं, जिसमें सबसे चौंकाने वाली हार अयोध्या में हुई, जहां भाजपा के दो बार के सांसद लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने हराया. अपने अभियान में राम मंदिर निर्माण पर जोर देने के बावजूद भाजपा ने स्थानीय दुकानदारों के बीच असंतोष के कारण फैजाबाद लोकसभा सीट खो दी, जो उसकी मंदिर राजनीति का केंद्र था.

दरअसल, राम पथ के लिए जिन लोगों की दुकानें तोड़ी गईं, उनमें से कई ने अपने वोट के ज़रिए असंतोष व्यक्त किया. यह असंतोष अयोध्या में भाजपा की हार का एक बड़ा कारण था. कई व्यापारियों और निवासियों को लगा कि उन्हें जो मुआवज़ा मिला, वह बहुत कम था.

अयोध्याधाम व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज गुप्ता कहते हैं कि राम पथ के चौड़ीकरण के लिए हमारी दुकानें तोड़ी गईं, और हमें जो मुआवज़ा दिया गया, वह दान जैसा लगा- मात्र 1 या 2 लाख रुपये. विरोध के तौर पर हमने दो दिन तक अपनी दुकानें बंद रखीं, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने हमारी शिकायतों का समाधान नहीं किया.

उन्होंने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने व्यापारियों को आश्वासन दिया था कि उन्हें ध्वस्त की गई दुकानों के बदले में मुफ्त में नई दुकानें मिलेंगी. इस वादे के कारण कई लोगों ने वेद प्रकाश गुप्ता को वोट दिया, जो बाद में भाजपा के टिकट पर जीते. हालांकि, चुनाव के बाद व्यापारियों को एक लाख रुपये का मामूली मुआवजा मिला और नई दुकानों के लिए 20 से 25 लाख रुपये देने को कहा गया. गुप्ता ने सवाल किया, “एक छोटा व्यापारी, जो रोजाना कमाता है, इतनी बड़ी रकम कैसे वहन कर सकता है?”

एक अन्य व्यापारी ने विकास की आड़ में व्यापारियों को निशाना बनाने के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि दुकानों को न्यूनतम मुआवजे के साथ ले लिया गया और परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण के चलते उन निवासियों को विस्थापित किया जा रहा है, जिन्होंने अपने घरों में काफी रकम निवेश की थी, लेकिन बदले में उन्हें नाममात्र का मुआवजा मिला.

ऐसा लगता है कि योगी सरकार ने चुनावी झटके का जवाब राम पथ परियोजना से प्रभावित स्थानीय व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण नीति परिवर्तन की घोषणा करके दिया है. नई नीति विस्थापित दुकानदारों को ब्याज मुक्त, दीर्घकालिक किश्तों पर नवनिर्मित दुकानों पर कब्जा करने की अनुमति देती है.

पहले दुकानदारों को 20 से 25 लाख रुपए की अग्रिम लागत का भुगतान करना पड़ता था, जिससे कई लोग बैंक ऋण लेने पर विचार करते थे और नई दुकानें खरीदना लगभग असंभव हो जाता था. संशोधित नीति अब दुकानदारों को बिना किसी ब्याज के 20 वर्षों में अपनी दुकानों का भुगतान करने की अनुमति देती है.

इस निर्णय का प्रभावित व्यापारियों ने स्वागत किया है. अयोध्या संभागीय आयुक्त गौरव दयाल ने कहा कि अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) अब बिना किसी डाउन पेमेंट के दुकानें सौंप रहा है. वे 20 वर्षों में आसान, ब्याज-मुक्त किश्तों में पूरी लागत का भुगतान करेंगे.

स्थानीय व्यापारी नेता मोहिंदर श्रीवास्तव ने नीति परिवर्तन पर राहत व्यक्त करते हुए कहा कि इसे पहले ही लागू किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बाद 150 दुकानदारों ने अपनी दुकानों पर कब्ज़ा कर लिया है.