चंडीगढ़। शराब के दाम कम कर और शराब के शौकीनों की मौज कराकर राजस्व बढ़ाने के मकसद से पंजाब में आप सरकार की नई आबकारी नीति (जो 1 जुलाई से लागू हो गई है) न्यायिक जांच के दायरे में आ गई है, जिसमें व्यापार करने वालों ने सरकार पर मुट्ठीभर संस्थाओं के पक्ष में शराब उद्योग पर एकाधिकार करने का आरोप लगाया है. हालांकि, सरकार का दावा है कि नीति का उद्देश्य पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी पर कड़ी निगरानी रखना है और 9,647.85 करोड़ रुपये के राजस्व सृजन की उम्मीद है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से लगभग 2,600 करोड़ रुपए अधिक है.

पिछले महीने कैबिनेट द्वारा अनुमोदित नई नीति 31 मार्च 2023 तक 9 महीने के लिए लागू है. आकाश एंटरप्राइजेज और अन्य थोक और खुदरा विक्रेताओं द्वारा दायर याचिका ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में इस नीति को चुनौती दी थी कि यह शराब व्यापार पर एकाधिकार करने का प्रयास है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सरकार ने एक शुद्धिपत्र जारी किया था, जिसके तहत एक इकाई को आवंटित किए जा सकने वाले खुदरा समूहों की अधिकतम संख्या 3 से बढ़ाकर 5 कर दी गई है, जो कुछ साधन संपन्न बोलीदाताओं के हाथों में शराब उद्योग का एकाधिकार करने के इरादे को आगे बढ़ाता है.

आरोपों के विपरीत मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि नई आबकारी नीति का उद्देश्य शराब व्यापार में माफिया की सांठगांठ को तोड़ना है. आप के बागी नेता और अब कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने इस मुद्दे को जोड़ते हुए कहा कि चूंकि अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में दिल्ली की आबकारी नीति को माफिया के हाथों में देकर दिल्ली आबकारी नीति को दोहराया है और छोटे ठेकेदारों की रोजी-रोटी लूट ली है. पंजाब में इस नीति के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएं, ताकि सच्चाई सामने आ सके. उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि केजरीवाल दिल्ली में रो रहे हैं और भ्रष्टाचार के आरोपी अपने मंत्रियों को सबूतों के साथ क्लीन चिट दे रहे हैं. पंजाब में उनकी सरकार भ्रष्टाचार के आधारहीन आरोपों पर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ राज्य में एक दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोधपूर्ण अभियान चला रही है.

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उपभोक्ताओं के लिए यह कीमत में कमी के साथ खुशियां लेकर आया है. थोक व्यापार में शराब पर लगने वाले शुल्क में 25-60 फीसदी की कटौती की गई है. साथ ही नई नीति में भारतीय निर्मित विदेशी शराब और बीयर की बिक्री के लिए कोई कोटा तय नहीं किया गया है, जिसका मतलब है कि वेंडर मालिक जितनी शराब बेचना चाहें, बेच सकते हैं. व्यापार के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि नीति ने शराब व्यापार पर नियंत्रण बढ़ाने और अधिकतम राजस्व प्राप्त करने के उद्देश्य से पिछले वित्तीय वर्ष में शराब के समूहों की संख्या को लगभग 750 से घटाकर 177 कर दिया है.

साथ ही सरकार ने उत्पाद शुल्क की चोरी पर प्रभावी निगरानी रखने के लिए मौजूदा बल के अलावा आबकारी विभाग को पुलिस की दो विशेष बटालियन आवंटित करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी. निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीति में माल्ट स्प्रिट के उत्पादन हेतु नवीन डिस्टिलरी एवं ब्रेवरी लाइसेंस का प्रावधान किया गया है, जो फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने एवं किसानों को बेहतर पारिश्रमिक प्रदान करने के लिए किया गया है. मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने पहले बताया था कि चंडीगढ़ की उदार शराब नीति पंजाब सहित पड़ोसी राज्यों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है.

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पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने कई मौकों पर चंडीगढ़ प्रशासन से लाइसेंसधारियों के लिए एक कोटा तय करने और लेवी बढ़ाने का अनुरोध किया था, क्योंकि इससे उन्हें शराब की तस्करी के कारण 200-300 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व नुकसान हो रहा है. उन्होंने तर्क दिया था कि चंडीगढ़ में एक लाइसेंसधारी को असीमित कोटा आवंटित करने से आसपास के राज्यों में शराब की तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है. अधिकारी ने कहा कि अब पंजाब की उदार शराब नीति का सबसे ज्यादा असर पड़ोसी राज्यों पर पड़ेगा. चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के ताजा अध्ययन से पता चलता है कि पंजाब में 20 लाख से अधिक लोगों द्वारा शराब का सबसे अधिक सेवन किया जाता है. इसके बाद तंबाकू का सेवन 15 लाख से अधिक लोग करते हैं.

नशीले पदार्थों का दुरुपयोग 1.7 लाख व्यक्तियों द्वारा किया जाता है. इसके बाद भांग के साथ-साथ शामक ड्रग्स का सेवन किया जाता है. पंजाब राज्य घरेलू सर्वेक्षण और पीजीआईएमईआर द्वारा राज्यव्यापी एनसीडी एसटीईपी सर्वेक्षण के अनुसार, पंजाब में कुल नशीले पदार्थ उपयोग की अनुमानित संख्या 15.4 प्रतिशत है. नई शराब नीति के समर्थन में आते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 6,200 करोड़ रुपये के मुकाबले 9,600 करोड़ रुपये सृजन करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि पहले हरियाणा से खरीदी गई शराब पंजाब में बेची जाती थी. उन्होंने कहा कि शराब माफिया के दिन अब खत्म हो गए हैं.

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की जांच करने के लिए कहा. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा कि पंजाब में भी शराब तस्कर के साथ आप सरकार के संबंध जल्द ही उजागर होंगे. उन्होंने कहा कि पंजाब में भी केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल को दोहराने की कोशिश की है, जो जल्द ही बेनकाब हो जाएगा.