नई दिल्ली। अपने मां-बाप से बिछड़कर पाकिस्तान पहुंचने और फिर भारत वापसी को लेकर कभी सुर्खियों में रही मूक-बधिर गीता को आखिरकार उसको जन्म देने वाली मां मिल ही गई है. इसका खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि उसकी पाकिस्तान में उसको अपनी बेटी की तरह पालने वाली बिल्किस इधी ने किया है.

इधी फाउंडेशन के संस्थापक दिवंगत अब्दुल सत्तार इधी की पत्नी और फाउंडेशन की संचालिका बिल्किस इधी ने इस संबंध में पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन को जानकारी देते हुए बताया कि गीता (29 वर्ष) का उनसे अभी भी संपर्क होते रहता है. गीता ने इस सप्ताह बताया कि उसे महाराष्ट्र में रहने वाली अपनी वास्तविक मां मिल गई है. उन्होंने बताया कि गीता का वास्तविक नाम राधा वाघमारे है, और उसे उसकी मां महाराष्ट्र के नागांव गांव में मिली है. उसकी मां का नाम मीना है, गीता के जैविक पिता सुधारक वाघमारे की मौत के बाद मीना ने दूसरी शादी करने के बाद उनके साथ औरंगाबाद में रहती है.

भारत से भटकते हुए पहुंच गई थी पाकिस्तान

बता दें कि गीता 11-12 साल की उम्र में गलती से भारत-पाकिस्तान की सीमा पार कर कराची तक पहुंच गई थी. कराची में उसे इधी फाउंडेशन चलाने वाले इधी परिवार ने उसे तब से शरण दी थी. पहले पहल इधी परिवार ने उसे फातिमा नाम दिया था, लेकिन जब उन्हें पता चला कि लड़की हिन्दू है तो उसका नाम गीता रखा था. बिल्किस का कहना है कि भले ही गीता बोल-सुन नहीं पाती है, लेकिन हम हाव-भाव से अच्छी तरह से संवाद कर लेते थे.

गीता की दास्तान वर्ष 2015 में मीडिया के जरिए सामने आई थी, जिसके बाद दोनों ही मुल्कों में उसकी काफी चर्चा हुई थी. इसके बाद तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उसे भारत लाने की पहल की थी.

दर्जनों परिवार के दावों की हुई पड़ताल

परिजनों की तलाश में गुजरा साढ़े चार साल का वक्त यू हीं नहीं जाया गया है. इस दौरान मूक-बधिरों के प्रशिक्षण के लिए कार्यरत स्वयं सेवी संस्था पहल की ओर से गीता को साइन लैंग्वेज का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. संस्था के डॉ. आनंद सालगांवकर ने बताया कि गीता के परिजनों की तलाश करते हुए उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और राजस्थान के कई परिवारों के दावों की सच्चाई का पता लगाया था. परिजनों की खोज के दौरान महाराष्ट्र के परभणी जिला के गांव जैंतूर में रहने वाली मीना वाघमारे (71 वर्ष) तक पहुंचे थे.

इस तरह कराची पहुंचे के हैं कयास

मीना ने बताया कि उसकी बेटी के पेट में जलने का निशान है, और जब हमने जांच की तो वाकई में इसे सही पाया. गीता को पाकर मीना के आंखों से आंसू बह निकले थे. डॉ. सालगांवकर कहते हैं कि अनुमान है कि गीता परभणी पहुंची और साखंड एक्सप्रेस के अमृतसर पहुंच गई और वहां से दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस में बैठ गई होगी. उनका कहना है कि डीएनए टेस्ट कराना सरकार पर निर्भर करता है, तब तक वे पहले से प्रशिक्षण प्राप्त करती रहेंगी.

गीता को लेकर बिल्किस इधी को खुशी

फिलहाल, गीता ने करीबन महीनेभर परभणी में बिताया है, और मीना और मराठवाड़ा में रहने वाली उनकी शादीशुदा बेटियों से मुलाकात करती हैं. गीता के अपने परिजनों से मिलने पर खुशी जताते हुए बिल्किस इधी कहती हैं कि उनकी बेटी जैसी गीता को आखिरकार उसका परिवार मिल गया है. इतने समय तक अपने परिजनों से बिछड़ जाने के बाद मिलने में दिक्कत तो होती है, खासतौर से तब जब कोई गीता जैसे (मूक-बधिर) हो.