सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद फिर चुनाव की रणभेरी सुनाई देगी। दरअसल, मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के साथ ही उपचुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी। दो राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, विधायक शिवराज सिंह चौहान, फुंदेलाल सिंह मार्को, ओमकार सिंह मरकाम, सिद्धार्थ कुशवाहा, फूल सिंह बरैया और महेश परमार ने भी चुनाव लड़ा हैं।

इनकी सीटों के परिणाम से निर्धारित होगा कि कहां-कहां उपचुनाव होंगे। उधर छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह के त्यागपत्र देने से एक सीट पहले ही रिक्त हो चुकी है। मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ युवा चेहरों को मैदान में उतारा था। कांग्रेस ने जहां राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह को उनके गृह क्षेत्र राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया तो भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से एक बार फिर मैदान में उतारा।

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दिग्विजय और सिंधिया का कार्यकाल 2026 तक

राज्य सभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत सीट गुना लोकसभा से चुनाव लड़े। दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया का राज्यसभा का कार्यकाल नौ अप्रैल 2026 तक है, यानी लोकसभा चुनाव जीतने की सूरत में उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा। इसी तरह शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा से विधायक हैं। कांग्रेस ने पुष्पराजगढ़ से विधायक फुंदेलाल सिंह मार्कों, डिंडौरी से विधायक ओमकार सिंह मरकाम, सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा, भांडेर से फूल सिंह बरैया और तराना विधानसभा क्षेत्र से विधायक महेश परमार को चुनाव लड़ाया। इनके चुनाव जीतने की स्थिति में उपचुनाव होंगे।

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इनकी सदस्यता पर भी लटकी तलवार

छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह पहले ही विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे चुके हैं। विधानसभा सचिवालय ने सीट भी रिक्त घोषित कर दी है। कांग्रेस के दो अन्य विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे की सदस्यता पर भी तलवार लटकी हुई है। लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों विधायकों ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था। कांग्रेस इनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कराने को लेकर नियम, प्रक्रिया से लेकर विधिक स्थिति का अध्ययन करा रही है। उपचुनाव मानसून के बाद कराए जाएंगे। अभी केवल अमरवाड़ा विधानसभा सीट रिक्त होने की सूचना विधानसभा सचिवालय से प्राप्त हुई है, जिसे चुनाव आयोग भेजा गया है। सामान्यत: सीट रिक्त घोषित होने से छह माह के भीतर चुनाव करा दिए जाते हैं।

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