Bihar News: ग्रामीण भारत में बाल विवाह आज भी एक गंभीर सामाजिक समस्या है, लेकिन बिहार के सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड की कटहरा पंचायत की एक सास ने इस कुरीति को चुनौती देते हुए एक प्रेरणादायक कदम उठाया है. उन्होंने अपनी नई बहू को शादी के मात्र एक सप्ताह बाद मध्य विद्यालय कटहरा में कक्षा 9 में दाखिला दिलाने के लिए स्वयं स्कूल पहुंचकर समाज की इस रूढ़ियों को तोड़ दिया है.

समाज के तानों को किया दरकिनार

यह घटना तब सुर्खियों में आई, जब शिक्षिका स्मिता ठाकुर ने इस मार्मिक दृश्य का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया. वीडियो में सास की शिक्षा के प्रति जागरूकता और बहू को सशक्त बनाने की दृढ़ इच्छा ने लोगों का दिल जीत लिया. सास ने कहा कि, शादी तो तय थी, लेकिन अब मेरी जिम्मेदारी है कि मेरी बहू पढ़े-लिखे. समाज के तानों को दरकिनार करते हुए उन्होंने बहू की शिक्षा को प्राथमिकता दी, ताकि वह आत्मनिर्भर बने और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाए.

लड़की के माता-पिता की आर्थिक स्थिति थी कमजोर

इस कदम ने बाल विवाह की वैधता और नैतिकता पर बहस भी छेड़ दी. कुछ लोग इसे साहसिक मानते हैं, तो कुछ का सवाल है कि क्या शादी के बाद स्कूल भेजना ही एकमात्र समाधान है. सास ने बताया कि, लड़की के माता-पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और वे शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं थे, इसलिए उन्होंने यह जिम्मेदारी उठाई.

सास ने समाज के लिए स्थापित किया नया आदर्श

शिक्षिका स्मिता ठाकुर, जो लंबे समय से बाल विवाह रोकथाम और शिक्षा जागरूकता के लिए काम कर रही हैं. उन्होंने इस पहल को और मजबूती देने के लिए सरपंच को पत्र लिखकर सहयोग मांगा. वे घर-घर जाकर लोगों को बाल विवाह के नुकसान और शिक्षा के फायदों के बारे में समझा रही हैं. यह घटना साबित करती है कि सकारात्मक सोच के साथ बदलाव संभव है. यह सास न केवल अपनी बहू का भविष्य संवार रही है, बल्कि समाज के लिए एक नया आदर्श स्थापित कर रही है.

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