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लखनऊ. BSP ऑफिस में रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. जिसमें मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को तगड़ा झटका दिया. मायावती ने आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया है. आकाश आनंद बसपा में अब किसी पद पर नहीं रहेंगे. मायावती ने आकाश आनंद की जगह अपने भाई आनंद कुमार को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी है. इस पर कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज का बयान सामने आया है. उदित राज ने बसपा कार्यकर्ताओं से कांग्रेस में शामिल होने का अनुरोध किया है.
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उदित राज ने अपने पिछले बयान को दोहराते हुए कहा, ‘‘ मैंने 17 फरवरी को लखनऊ में कहा था सुश्री मायावती ने बहुजन आंदोलन का गला घोटा है और इनका गला घोटने का समय आ गया है.’’ उन्होंने बसपा पर ‘‘स्पष्ट मिशन की कमी’’ का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘बसपा में संविधान की रक्षा करने, दलितों और ओबीसी पर अत्याचारों का विरोध करने या निजीकरण के खिलाफ कोई लड़ाई नहीं बची है.’’
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बता दें कि रविवार को बैठक के दौरान मायावती ने कहा था कि देश के समक्ष अपार महंगाई, गरीबी, बेरोज़गारी, पिछड़ेपन, आदि के विवश जीवन सम्बंधी ज्वलन्त समस्याओं के प्रति सरकारी उदासीनता और हाल ही में सम्पन्न प्रयागराज महाकुंभ के सम्बंध में विभिन्न स्तर पर अव्यवस्था और उसमें लोगों के हताहत होने की आमचर्चाओं आदि का संज्ञान लेते हुए प्रदेश के व्यापक हित तथा आमजनहित और कल्याण के लिए केन्द्र व यूपी की सरकार से अपनी कथनी और करनी में अन्तर को कम करना जरूरी है. महाकुंभ अगर अव्यवस्था, हादसा और हताहत मुक्त होकर सरकारी दावे के अनुसार होता तो यह बेहतर होता.
सरकार इतना दूरदर्शी हो गई है कि वर्तमान समस्या नहीं दिख रही- मायावती
साथ ही यह भी कहा कि केन्द्र और यूपी के भी बजट के दौरान किए गए सरकारी दावे जमीनी हकीकत में ज्यादातर हवाहवाई लगते हैं. इसी कारण करोड़ों गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों एवं अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है, बल्कि अपार महंगाई, बेरोजगारी और सरकार के अधिकतर धन्नासेठ समर्थक एवं जनविरोधी कार्यकलापों से लोगों की बदहाली बढ़ी है. इनकी आमदनी अठन्नी किन्तु खर्चा रुपया होने से बचत व परिवार की देखरेख, शिक्षा व स्वास्थ्य का काफी बुरा हाल है, यह सब अति चिन्ताजनक है. वास्तव में सरकार इतनी ज्यादा “दूरदर्शी” हो गई है कि उसे देश के सवा सौ करोड़ लोगों द्वारा रोजी-रोटी, स्कूल, अस्पताल, सड़क व जीएसटी कर के बोझ आदि से बदहाल स्थिति की वर्तमान ज्वलन्त समस्यायें नजर ही नहीं आ रही है. सरकार की नीयत और नीति में सुधार जरूरी है.
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