पवन दुर्गम, बीजापुर। जिले में ज्यादातर गांव ऐसे हैं जहां सड़क नहीं है, जिसकी वजह नक्सलवाद को माना जाता है. लेकिन नक्सलवाद के आड़ में सरकारें कब तक अपनी नाकामी को छुपाती रहेंगी. 70 साल बाद सड़क बनती है तो महीनेभर में उखड़ने लगती है. सड़कों के नहीं होने का खामियाजा बस्तर, बीजापुर जिले के सुदूर इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है.

ऐसा ही मामला बीजापुर जिले में सामने आया है. भैरमगढ़ से करीब 20 किमी दूर उसपरी निवासी भीमसन पोयाम की ऑब्स्ट्रैटेड हर्निया की वजह से तबीयत खराब होने पर परिजनों की 108 एंबुलेंस को सूचना दी. 108 लेकर स्वास्थ्य कर्मी तत्काल गांव के लिए निकले. बरसात के दिनों में कटी-फटी सड़क पर ग्रामीणों ने लकड़ी से अस्थायी पुल बनाकर 108 को पार कराया, दो नालों को पार कर 108 वाहन जैसे-तैसे उसपरी गांव से करीब 5 किमी दूर तक ही पहुंच पाई. आगे कीचड़ और गड्ढों के बीच आगे चलना मुश्किल था. लिहाजा मरीज के परिजनों ने लकड़ी के खटिया को उल्टा कर मरीज को उसमें लादकर करीब 5 किमी दूर तक उबड़-खाबड़ कीचड़ भरे रास्ते से चलने के बाद एम्बुलेंस तक पहुंचे. जिसके जरिए मरीज को भैरमगढ़ मॉडल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया.

भैरमगढ़ ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अभय सिंह तोमर ने बताया कि भारी बारिश होने के चलते सड़क खराब होने की वजह से कुछ दूरी तक परिजन मरीज को लेकर आये. मरीज को जब भैरमगढ़ हॉस्पिटल लाया गया तब काफी दर्द से पीड़ित था. जिसको देर रात बीजापुर जिला हॉस्पिटल रेफर किया गया है, जहां इलाज चल रहा है. ऑब्स्ट्रैटेड हर्निया से पीड़ित भीमसन पोयाम का आज जिला हॉस्पिटल बीजापुर में डॉ. नागुलन ने सफल ऑपरेशन किया है. अब मरीज की स्थिति में काफी सुधार है.