Sharda Sinha Death: बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा की सांसे अब थम चुकी है. कल मंगलवार की रात 72 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. शारदा सिन्हा अब भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन उनके गीत और उनकी मधुर आवाज हमें हमेशा सुनाई देती रहेगी.

संगीत के प्रति उनके लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच झूज रही शारदा सिन्हा ने अपनी आखिरी सांसों तक इसे अपने साथ रखा. उनके साथ ही उनके गीत भी अमर हो गए हैं, जो श्रोताओं के कानों में हमेशा गूंजती रहेगी.

मृत्यु के बाद का वीडियो वायरल

शारदा सिन्हा की मृत्यु के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वो अपनी अवाज में कुछ गाने की कोशिश करती हुई सुनी जा रहीं है, आवाज में वही खनक कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा कि संगीत की मलिका इतने कष्ट में अपनी सुरीली आवाज से गा रही हैं. नाक में पाइप है, सासें थमने को हैं, लेकिन संगीत की चाहत शारदा के मन से नहीं हट रही, जाते-जाते उन्होंने अपनी शानदार आवाज में ‘सैयां निकस गए…’ गीत गुनगुनाती रहीं.

स्वर कोकिला का आखिरी वीडियो

बता दें कि शारदा सिन्हा जब गाती थीं तो ऐसा लगता था जैसे सरस्वती स्वयं उनके कंठ में विराजमान हो गई हों, जाते-जाते भी वे अपने भीतर दैवीय शक्ति की मौजूदगी का एहसास कराती रहीं. छठ में उनकी मौजूदगी इसका प्रत्यक्ष संकेत हैं. जब तक वे जीवत रहीं, धरती को संगीत से सराबोर करती रहीं, अब वे भगवान के चरणों में पहुंच गई हैं, भगवान भी प्रसन्न होंगे. इसलिए जब तक दुनिया में छठ पर्व रहेगा, तब तक उनकी मौजूदगी का अहसास सबको होता रहेगा. वो ना सिर्फ भोजपुरी समाज बल्कि पूरे संगीत जगत की अमूल्य धरोहर थीं.

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पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित

छठ गीतों के अलावा उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में कई हिट गाने दिए. शारदा का जन्म बिहार के जिले सुपौल के हुलास गांव में हुआ था. उनकी शादी बेगूसराय में हुई. वह गायिका के साथ-साथ प्रोफेसर भी थीं. उनकी रुचि हमेशा से गायन में रही. केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित किया था, उनके निधन से आज एक युग का अंत हो गया. उनकी जगह कोई नहीं ले सकता.

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गुलबी घाट पर कल होगा अंतिम संस्कार

शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने बताया कि, ‘उनकी मां शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पटना के गुलाबी घाट पर कल गुरुवार को किया जाएगा. उसी स्थान पर जहां कुछ महीने पहले उनके पिता का अंतिम संस्कार किया गया था. पटना में राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जाएगी. उनके पार्थिव शरीर को आवास पर रखा गया है, ताकि उनके चाहने वाले उन्हें आखिरी बार नमन कर सकें.’

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