विक्रम मिश्र, लखनऊ. राजधानी लखनऊ सहित यूपी में अब पत्रकारिता करना शायद आसान नहीं है. किसी के काले कारनामों की सच्चाई उजागर करना पत्रकार के लिए मानो किसी घातक से कम नहीं है. कुछ दशक पूर्व मूड़ कर नजर डालें तो बीहड़ जैसे सूचीबद्ध अपराधी पत्रकारों का सम्मान किया करते थे, लेकिन इस दौर के कुछ छुटभैय्ये अपराधी हैं जो जो चौथे स्तंभ की हत्या करने में जुटे हुए हैं.

सूबे में लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमले से उनका मनोबल धराशाई हो रहा है, जबकि अपराधियों की सक्रियता बढ़ती जा रही है. प्रदेश में प्रशांत कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद राजीव कृष्ण को पुलिस महानिदेशक बनाया गया था, तब पत्रकारों और आम आदमियों को उम्मीद जगी थी कि अब अपराधियों की सक्रियता ढीली पड़ेगी, लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा. बीते कुछ महीनों में ही जहां बेखौफ अपराधियों के आतंक से कई पत्रकारों को अपनी जान गंवानी पड़ी तो कईयों पत्रकारों पर जानलेवा हमले हुए.

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बीते दिनों पत्रकारों की हत्या और हमले का मामला शांत भी नहीं पड़ा था कि अब राजधानी लखनऊ के मानक नगर में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुशील अवस्थी के ऊपर मंगलवार रात हुए जानलेवा हमले के बाद यूपी में एक बार फिर पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. इस घटना ने पुराने जख्मों को ताजा कर दिया है. यहां सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों की हत्या और उनके ऊपर हो रहे हमले का चलन बड़ा पुराना है. वरिष्ठ पत्रकार सुशील अवस्थी पर हुए जानलेवा हमले के बाद वह सभी पत्रकार सहम गए हैं जो सच्चाई उजागर करते हैं. खास बात यह है कि इतना होने के बाद भी जिम्मेदार अफसर अनसुनी कर चुप्पी साधे हुए हैं.

बताते चलें कि मानक नगर क्षेत्र में रहने वाले मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार सुशील अवस्थी राजधानी लखनऊ में एक न्यूज चैनल में कार्यरत हैं. बताया जा रहा है मंगलवार रात उनके घर पर कुछ लोग आए और सुशील अवस्थी को अपने साथ ले गए. देर तक घर न पहुंचने पर उनके बेटे ऋषभ अवस्थी सहित परिवार के अन्य सदस्य सड़क की ओर गए तो सुशील खून से लथपथ होकर तड़प रहे थे. बेखौफ बदमाशों ने सुशील अवस्थी के ऊपर जानलेवा हमला कर लहुलुहान कर मौके से भाग निकले. ऋषभ अवस्थी की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक पुलिस बदमाशों का कुछ सुराग नहीं लगा सकी है.