रायपुर। विधानसभा में वित्त मंत्री ओपी चौधरी के बजट पेश करने के करीबन महीने भर बाद वित्त विभाग ने बजट आबंटन के संबंध में विस्तृत सूचना जारी किया है. इसमें प्रथम छमाही (अप्रैल-सितंबर) में बजट का 40 प्रतिशत और द्वितीय छमाही (अक्टूबर-मार्च) में 60 प्रतिशत व्यय अनिवार्य किया गया है. इसके अलावा अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में 35 प्रतिशत से अधिक व्यय की अनुमति नहीं होगी. यह भी पढ़ें : BREAKING: CGMSC घोटाले में हाई कोर्ट ने खारिज की आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका…
राज्य के तमाम अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव, राजस्व मंडल के अध्यक्ष और तमाम विभागाध्यक्षों को वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान, व्यय की सीमाओं, बजट आबंटन प्रक्रिया और वित्तीय अनुशासन से संबंधित निर्देश दिया गया है. इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष के लिए जारी बजट के समुचित उपयोग के लिए तमाम विभाग कार्ययोजना तैयार करे और वर्ष के दौरान व्यय को इस प्रकार से नियंत्रित रखे, जिससे अंतिम तिमाही में राशि को खर्च करने की आपाधापी (Rush of Expenditure) न हो.

इसके लिए छमाही के साथ-साथ तिमाही के लिए नियम बनाए गए हैं. इसमें मार्च महीने में अधिकतम 15 प्रतिशत व्यय सीमा लागू होगी. इसके अलावा अप्रयुक्त राशि का 50 प्रतिशत अगले तिमाही में स्थानांतरित किया जा सकता है. इसमें भारत सरकार की योजनाओं में “Just in Time Model” के तहत समय पर राशि आहरण अनिवार्य किया गया है.
हालांकि, इसमें छूट का प्रावधान किया गया है, जैसे वेतन, भत्ते, पेंशन, बिजली, जल, दूरसंचार, वाहन क्रय पर सीमाएं लागू नहीं होंगी. इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं एवं विदेशी सहायता प्राप्त परियोजनाओं पर व्यय सीमा लागू नहीं होगी. निर्देशों के पालन के लिए निर्धारित सीमाओं से अधिक व्यय की अनुमति केवल वित्त विभाग से मिलेगी. अनुदान, ऋण, एवं विशेष सहायता योजनाओं पर खर्च निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत होगा, ताकि वित्तीय वर्ष के अंत में अनुशासनहीन व्यय से बचा जा सके.
निर्देश में बजट के व्यय के लिए महत्वपूर्ण तिथियां भी निर्धारित की गई है. इसमें 25 अप्रैल तक विभागों को बजट आबंटन अपलोड करना होगा. 30 अप्रैल तक जिला स्तर पर बजट पुनः आबंटन करना होगा. वहीं मार्च 2026 में व्यय की 15 प्रतिशत व्यय की सीमा तय की गई है.
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