नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष पर पूर्णविराम लगाते हुए 10 मई 2025 को सीजफायर की घोषणा कर दी गई। इसके बाद से भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री (vikram misri) और उनके परिवार को सोशल मीडिया पर तीखी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) एसोसिएशन, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) एसोसिएशन और कई राजनीतिक हस्तियों ने इस ट्रोलिंग की कड़ी निंदा की है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 10 मई को प्रेस ब्रीफिंग में भारत-पाकिस्तान युद्धविराम की घोषणा की थी, जिसमें दोनों देशों के सैन्य अभियान निदेशकों (DGMOs) ने सभी सैन्य गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमति जताई थी। हालांकि पाकिस्तान द्वारा कुछ घंटों बाद इस समझौते का उल्लंघन किए जाने की खबरें आईं, जिसके बाद मिस्री ने एक और ब्रीफिंग में भारतीय सशस्त्र बलों की जवाबी कार्रवाई की जानकारी दी।
मिस्री को बताया गया ‘गद्दार’ और ‘देशद्रोही‘
इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ उपयोगकर्ताओं ने मिस्री को निशाना बनाना शुरू किया। उन्हें गद्दार और देशद्रोही जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया। ट्रोलिंग का स्तर तब और नीचे गिरा जब मिस्री की बेटी डिडॉन मिस्री के निजी जीवन और उनके रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए किए गए कानूनी कार्यों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं। कुछ यूजर्स ने उनकी बेटी का मोबाइल नंबर और निजी जानकारी भी सार्वजनिक कर दी जिसके चलते मिस्री को अपना एक्स अकाउंट तक निजी करना पड़ा।
आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन का समर्थन
आईएएस एसोसिएशन ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया, “हम विदेश सचिव श्री विक्रम मिस्री और उनके परिवार के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं। ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले सिविल सेवकों पर अनुचित व्यक्तिगत हमले अत्यंत खेदजनक हैं। हम सार्वजनिक सेवा की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस ट्रोलिंग की निंदा की और अपने बयान में कहा, “हम विदेश सचिव श्री विक्रम मिस्री और उनके परिवार के खिलाफ निंदनीय व्यक्तिगत हमलों की कड़ी निंदा करते हैं।” दोनों संगठनों ने सिविल सेवकों के प्रति सम्मान और उनके परिवारों की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
ओवैसी और अखिलेश और सचिन पायलट ने किया मिस्री का समर्थन
कई प्रमुख राजनेताओं ने मिस्री के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की और इस ट्रोलिंग को अनैतिक और अस्वीकार्य बताया।
असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम प्रमुख): ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “विक्रम मिस्री एक सभ्य, मेहनती और ईमानदार राजनयिक हैं, जो हमारे देश के लिए अथक प्रयास करते हैं। सिविल सेवक कार्यकारी के निर्देशों पर काम करते हैं और उन्हें राजनीतिक नेतृत्व के निर्णयों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।”
अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी अध्यक्ष): यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “कुछ असामाजिक तत्व अधिकारी और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक भाषा का खुलेआम इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन बीजेपी सरकार या उसके मंत्री उनके सम्मान की रक्षा के लिए आगे नहीं आ रहे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि युद्धविराम का निर्णय सरकार का था न कि मिस्री का।
सचिन पायलट (कांग्रेस नेता): पायलट ने कहा, “हमारे पेशेवर राजनयिकों और सिविल सेवकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है, जो राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित हैं।”
यह ट्रोलिंग 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुए भारत-पाकिस्तान सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि में हुई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। मिस्री ने इस दौरान कई प्रेस ब्रीफिंग में सरकार की स्थिति को स्पष्ट किया जिसके लिए उनकी प्रशंसा भी हुई थी।
कई हस्तियों ने सरकार से ट्रोलर्स के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। विशेष रूप से उन लोगों के खिलाफ जिन्होंने मिस्री की बेटी की निजी जानकारी सार्वजनिक की।सिविल सेवकों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत कदम उठाने की भी मांग उठ रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से ऐसी सामग्री को हटाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपील की गई है।
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