नई दिल्ली। नीति आयोग की बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तुलना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज़्यादा तवज्जो मिलने की तस्वीर सामने आई है. राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ लंच करने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को अपने करीब बिठाया. गौरतलब है कि साय 2014 में मोदी कैबिनेट में रह चुके हैं.

प्रधानमंत्री मोदी के लंच टेबल की सामने आई तस्वीर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी साथ दिखाई दे रहे हैं. प्रधानमंत्री के एक तरफ विष्णुदेव साय और दूसरी तरफ़ चंद्रबाबू नायडू दिखाई दे रहे हैं.

बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक में राज्य की विकास योजना प्रस्तुत की. मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य की प्राथमिकताओं और विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. इसके मुख्य बिंदु इस प्रकार है.

विकास योजना प्रस्तुत: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक में छत्तीसगढ़ की विकास योजना प्रस्तुत की. शिक्षा, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य और तकनीकी उन्नति पर जोर दिया गया.

2047 तक विकसित भारत: मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ 2047 तक विकसित भारत में प्रमुख भूमिका निभाएगा. वर्तमान में राज्य का GSDP 5.05 लाख करोड़ रुपये है, जिसे अगले पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है.

स्किल्ड मानव संसाधन: राज्य का मुख्य फोकस स्किल्ड मानव संसाधन तैयार करने पर है. शिक्षा को व्यावसायिक कौशल और ट्रेनिंग से जोड़ा जा रहा है. ‘वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी कार्ड’ (APAAR आईडी) बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

स्वास्थ्य और सतत विकास: स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर उपलब्धता, सतत विकास, और राज्य की संस्कृति व परंपरा के संरक्षण की योजना साझा की गई. आर्थिक सशक्तिकरण के लिए छत्तीसगढ़ सुपर फूड्स की पैदावार और प्राकृतिक औषधालयों का निर्माण किया जाएगा.

डिजिटल और भौतिक संरचनाएँ: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आईटी सेक्टर के विस्तार के साथ-साथ सड़कों, इमारतों जैसी भौतिक संरचनाओं और डिजिटल सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जाएगा.

विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए केंद्र से सहयोग की अपील की गई। 100 गांवों को पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित बनाने की योजना है.

पेयजल और जल संरक्षण: मार्च 2026 तक 96% घरों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है. राष्ट्रीय ग्राउंड वाटर ट्रेनिंग और रिसर्च इंस्टीट्यूट को मजबूत करने और वर्षा-जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र की स्थापना की मांग की गई.

आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ: आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की तैनाती की गई है.

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड: सभी भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगेगा.

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