सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अब हरिवंश नारायण को कार्यवाहक सभापति बना दिया गया है। दरअसल, मंगलवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ही हरिवंश नारायण का नाम उपराष्ट्रपति बनने की रेस में सबसे आगे चल रहा था। अब नई नियुक्ति होने तक वे ही इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।
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पत्रकारिता से राज्यसभा के उपसभापति तक का सफर किया
30 जून 1956 को बिहार के छपरा जिले में जन्में हरिवंश नारायण सिंह ने अपनी शुरुआती शुरुआती शिक्षा गांव से सटे स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने जेपी इंटरकॉलेज सेवाश्रम से उन्होंने हाईस्कूल की और 1971 में हाईस्कूल पास करके वे बनारस पहुंच गए. वहां से उन्होंने इंटर किया और फिर बीएचयू से उन्होंने स्नातक किया और पत्रकारिता से डिप्लोमा किया. इसके बाद उन्होंने विभिन्न मीडिया संस्थान में नौकरी की. अगस्त 2018 में वे पहली बार राज्यसभा के उपसभापति बने. इसके बाद 2020 में दोबारा उन्होंने ये पद संभाला. हरिवंश को जयप्रकाश नारायण ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है.
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इतने दिनों में करवाना होगा चुनाव
भारत के संविधान के अनुसार, अगर देश के उप राष्ट्रपति इस्तीफा देते हैं या फिर वे पद पर किसी भी कारणों से नहीं रहते हैं तो इस पर पद के लिए दोबारा औपचारिक रूप से चुनाव होता है. 60 दिनों के अंदर चुनाव करवाना आवश्यक होता है.
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