Local news : मनोज यादव, कोरबा। असामान्य कारण से हुई मौत को लेकर शव का परीक्षण किए जाने का नियम बनाया गया है और इसे हर हाल में पूरा करना होता है. कुछ मामलों में पोस्टमार्टम को लेकर वाद-विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है. जिले में ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित एक किशोर की मौत को लेकर भी ऐसा ही हुआ. बाद में पुलिस ने हस्तक्षेप किया और परिजनों को पोस्टमार्टम कराने के लिए सहमत कर लिया.

संदिग्ध रूप से होने वाली मौतों के मामले में सच्चाई जानने के लिए पुलिस शव परीक्षण (पोस्टमार्टम) कराती है. कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें डॉक्टरों के पैनल के द्वारा शव परीक्षण संपन्न किया जाता है और रिपोर्ट दी जाती है. इस आधार पर सुनिश्चित राय निर्धारित होती है कि मौत की वजह क्या थी. कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में एक किशोर के खुदकुशी करने के मामले में पुलिस को भी शव का पोस्टमार्टम करवाना जरुरी था. जानकारी के मुताबिक मृतक के परिजन शव का पोस्टमार्टम करवाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे और इसलिए इसे लेकर परिजनों ने अस्पताल में खूब हंगामा मचाया.

पुलिस ने दी समझाइश

इसके बाद पुलिस ने सभी पहलुओं के बारे में परिजनों को समझाइश दी और आखिरकार उन्हें वैधानिक प्रक्रिया की तरफ से जाने के लिए सहमत कर लिया. पुलिस का साफ तौर पर कहना है कि जो भी नियम बनाए गए हैं वह काफी दूर दृष्टि लिए हुए हैं और इनमें जनता का हित भी देखा जाता है. यह बात सही है कि कुछ मामलों में संवेदना के चलते कानूनी प्रक्रियाओं को अंजाम देने में अड़चन आती है, लेकिन सरकारी व्यवस्था को पूरा करने के लिए भावनाओं से ऊपर उठकर सोचना पड़ता है.

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