रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि ट्रिपल आई टी नया रायपुर में वर्तमान कुलपति डाॅ. प्रदीप कुमार सिन्हा को पुनर्नियुक्ति देने नियम विरूद्ध चयन समिति का गठन कर नियुक्ति देने की तैयारी चल रही है. विकास उपाध्याय इस पूरे प्रकरण पर राजभवन में राज्यपाल से मिल कर चर्चा करेंगे.

विकास उपाध्याय ने जारी बयान में कहा कि ट्रिपल आई टी नया रायपुर में कुलपति चयन को लेकर व्यक्ति विशेष वर्तमान कुलपति डाॅक्टर प्रदीप कुमार सिन्हा को पुनर्नियुक्ति देने बनाए गए एक्ट 2013 के सेक्शन-20 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है. उन्होंने इसके प्रावधानों को बताते हुए कहा कि कुलपति के लिए गठित चयन समिति में ऐसा कोई भी व्यक्ति सम्मिलित नहीं हो सकता, जो ट्रिपल आई टी नया रायपुर से जुड़ा हो. बावजूद वर्तमान कुलपति डाॅ. सिन्हा अपने स्वयं की पुनर्नियुक्ति कराने ऐसा कर इस चयन समिति में प्रोफेसर यू बी देसाई और संजय मदान जो कि ट्रिपल आई टी सीनेट बोर्ड के सदस्य हैं, उनका नाम अंधेरे में रखकर राजभवन भेज दिया.

इतना ही नहीं बल्कि राजभवन से 16 फरवरी 2021 को इसके लिए साक्षात्कार भी हो गया. दुर्भाग्य से चयन समिति के ये दोनों सदस्य जो कि कुलपति के अधीन हैं, डाॅ. सिन्हा को पुनर्नियुक्ति देने साक्षात्कार ली. इससे साफ जाहिर होता है कि इस पूरे प्रकरण में राजभवन की संलिप्तता है.

विकास उपाध्याय ने कहा कि कुलपति डाॅ. प्रदीप सिन्हा की नियुक्ति प्रारंभ से ही विवादित रहा है. उक्त व्यक्ति कभी एक दिन के लिए भी किसी काॅलेज या विश्वविद्यालय में, यहां तक कि आईआईटी में भी कार्य नहीं किया. बगैर शैक्षणिक अनुभव वाले उक्त व्यक्ति को भाजपा शासनकाल के दौरान दिसम्बर 2015 में गलत तरीके से इस संस्था में कुलपति की नियुक्ति दे दी गई थी. जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सेक्शन 7.3.0 में निहित प्रावधानों के अनुसार वे कुलपति के लिए योग्यता ही नहीं रखते.

इसी तरह ट्रिपल आई टी नया रायपुर के लिए भी बनाए गए एक्ट 2013 के सेक्शन- 20 (1) के अनुसार भी डाॅ. सिन्हा की योग्यता कुलपति की नहीं है. विकास उपाध्याय ने कुलपति डाॅ. सिन्हा के पूरे कार्यकाल की जांच कराने की मांग करते हुए उनकी पुनर्नियुक्ति आदेश पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की है. इस संबंध में वे राज्यपाल से भी मुलाकात कर उचित कार्यवाही की मांग करेंगे.

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