मनीष मारू, आगर- मालवा। मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले में किसानों को मुआवजा मामले में शासन ने बड़ा कदम उठाया है। जिले के कुंडालिया बांध परियोजना के डूब में जमीन का मुआवजा नहीं देने पर न्यायालय ने परियोजना के सुसनेर कार्यालय सहित वाहन, कम्प्यूटर, लेपटॉप आदि सामानों की कुर्की के आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सुसनेर और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध पर लाखों रुपये की वसूली के लिए अपर जिला न्यायाधीश सुसनेर के आदेश के बाद पीड़ित किसानों ने कुर्की के लिए तलवाना प्रस्तुत किया है। जिसमें एसडीएम के कार्यालय, वाहन, कम्प्यूटर, लेपटॉप और फर्नीचर आदि और इसी प्रकार कार्यपालन यंत्री कुंडालिया परियोजना सम्भाग जीरापुर सम्पूर्ण कार्यालय और कार्यालय में उपलब्ध समान की कुर्की के आदेश दिए हैं। तलवाना भी फरियादी किसान की ओर से न्यायालय के आदेश के पालन में 19 अप्रेल को जमा कर दिया गया है। अब कभी भी न्यायालय के आदेश पर एसडीएम सुसनेर और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध परियोजना के जीरापुर सम्भाग पर कुर्की की तलवार लटक गई है।
दरअसल, यह पूरी कार्रवाई अपर सत्र न्यायालय और हाइकोर्ट इंदौर बेंच के स्पष्ट फैसले के बाद भी बांध क्षेत्र में डूब में आए 2 किसानों के फलदार वृक्षों का अभी तक मुआवजा राशि नहीं देने पर सामने आ रही है। इसमें राशि भुगतान ना करने से भारी भरकम ब्याज की राशि भी शामिल हैं।
यह है पूरा मामला
कुंडालिया बांध के लिए भू अधिग्रहण के तहत 2 किसानों रामकुंवर पत्नी बनैसिंह और गिरिराज पिता बनैसिंह निवासी ग्राम गोठड़ा तह नलखेड़ा को सुसनेर राजस्व विभाग ने डूब में आई भूमि पर लगे फलदार वृक्षो का मुआवजा आंकलन 17 अक्टूबर 2017 के दिशा निर्देशों के अनुसार किसानों को 21 लाख 30 हजार और 20 लाख 44 हजार रुपये किया गया था। जिससे व्यथित होकर पीड़ित किसानों ने इस आदेश के खिलाफ एक सिविल सूट अपर जिला न्यायधीश सुसनेर की कोर्ट में अधिवक्ता देवेंद्र सिंह चौहान के मार्फत लगाते हुए फलदार वृक्षों का मुआवजा शासन की गाइड लाइन 2 अप्रैल 2017 से देने का निवेदन किया था।
व्यथित किसानों ने अपने दावे में बताया था कि मुआवजे के संबंध में जो कार्रवाई की गई है वह 2 अप्रैल 2017 के पहले की गई है, इसलिए उन्हें यह मुआवजा 2 अप्रैल 2017 की गाइड लाइन के अनुसार दिया जाना चहिए ना कि 17 अक्टूबर 2017 के अनुसार। अपर जिला न्यायाधीश ने पीड़ित किसानों के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए 14 सिंतबर 2021 को एक आदेश पारित कर अनुविभागीय अधिकारी सुसनेर और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध को पीड़ित किसानों को 2 अप्रैल 2017 की के हिसाब से उद्यान विभाग गठित दल द्वारा की गई गणना के अनुसार 88 लाख 31 हजार और 43 लाख 98 हजार रुपये देने साथ ही पीड़ित किसानों की शेष बची राशि पर भूमि अधिग्रहण दिनांक से 1 वर्ष तक 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज और उसके बाद 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज देने आदेशित किया था।
इस आदेश से असंतुष्ट होकर सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध द्वारा इंदौर की हाइकोर्ट बेंच में अपील की गई जिस पर इंदौर हाइकोर्ट ने भी 6 फरवरी 2023 को किसानों के पक्ष में फैसला देते हुए अनुविभागीय अधिकारी आदि की इस अपील को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट द्वारा दिए गए इस आदेश के बाद भी किसानों को अभी तक भुगतान ना मिलने से पीड़ित किसानों ने अपर जिला न्यायाधीश सुसनेर को अवगत कराते हुए इस राशि की मांग की थी, जिसके बाद 17 अप्रैल 2023 को अपर जिला न्यायाधीश सुसनेर ने पीड़ित पक्ष को अनुविभागिय अधिकारी सुसनेर आदि पर कुर्की वारंट जारी करने तलवाना प्रस्तुत करने निर्देशित किया था। पीड़ित पक्ष ने 19 अप्रैल 2023 को किसान रामकुंवर बाई द्वारा उन्हें वसूली योग्य पाई गई। राशि पर ब्याज के साथ कुल 1,54,99332 रुपये और पीड़ित किसान बनैसिंह द्वारा कुल राशि 54,19,688 रु की वसूली के लिए तलवाना प्रस्तुत कर दिया है। जिसके बाद अब अपर जिला न्यायालय द्वारा कभी भी अनुविभागिय अधिकारी सुसनेर आदि पर कुर्की वारंट जारी किया जा सकता है।
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