अगहन माह मां लक्ष्मी की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है. इसमें गुरुवार का विशेष महत्व होता है. इस बार चार गुरुवार पड़ रहा है. इस पूजा में नया चावल और उससे बने व्यंजनों को मां को अर्पित करने का विधान है. इसके साथ ही गेंदे के फूल, आंवला व सभी प्रकार के मौसमी फल भी अर्पित किए जाएंगे. देर शाम मां के स्वागत सत्कार के लिए दीपदान किया जाता है. अगहन गुरुवार को आंवले का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही अन्नापूर्णा पात्र में धान व अन्य पूजन सामग्री भरकर रखने का विधान है. जिसे पूजन के बाद घर में ही रखा जाता है. मान्यता है कि इससे घर में अन्ना का भंडार रहता है और मां कृपा बरसाती है.
गुरुवार के दिन घरोंघर मां लक्ष्मी की पूजन होगा. हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी. हर घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाएगी. अगहन मास में गुरुवार को लक्ष्मी जी की व्रत पूजा से सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति के साथ मन की इच्छा पूरी होती है. Read More – ऑलिव कलर के स्विमसूट में Monalisa ने शेयर किया Photo, 41 की उम्र में दिखाई दिलकश अदाएं …
अगहन मास के शेष गुरुवार के दिन आठ सुहागनों या कुंवारी कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें सम्मान के साथ पीढा या आसान पर बिठाकर श्री महालक्ष्मी का रूप समझ कर हल्दी कुमकुम लगाएं. पूजा की समाप्ति पर फल प्रसाद वितरण किया जाता है तथा इस कथा की एक प्रति उन्हें दी जाती है. केवल स्त्री ही नहीं अपितु पुरष भी यह पूजा कर सकते हैं. Read More – India vs Australia T20 Match : पहले मैच के दौरान JioCinema ऐप हुआ डाउन, यूजर्स होते रहे परेशान …
दूर होती है विवाह में आने वाली बाधाएं
अगहन में गुरुवार को लक्ष्मी पूजा, शंख पूजा और भगवान श्रीकृष्ण के पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि अगहन भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है, जिससे भगवान की पूजा करने से सुख- समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है. अगहन मास में भगवान श्रीकृष्ण को पाने और प्रसन्न करने की कामना से महिलाएं व्रत-पूजन करती हैं. इस व्रत को करने वाली नवयुवतियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. जिन युवतियों के विवाह में बाधाएं या अन्य कोई समस्या के कारण रुकावट आती है, उन्हें इस व्रत को अवश्य करना चाहिए. व्रत के दौरान माता कात्यायनी का पूजन किया जाता है. माता के पूजन से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं.
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