पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। धान खरीदी केंद्रों में बारदाना नहीं होने पर शुक्रवार को नेशनल हाइवे 130 सी पर चक्काजाम कर आंदोलन करने वाले किसानों ने मांग पूरी नहीं होने पर एक बार फिर आंदोलन पर बैठ गए हैं. नेशनल हाइवे पर बाकायदा तंबू लगाकर किसान ने सड़क को दोनों छोर को रस्सियों से घेर दिया है.

शुक्रवार को आंदोलन के दरम्यान किसानों ने शनिवार सुबह होने से पहले 10 खरीदी केंद्रों में बारदाना पहुंचाने की शर्त पर आंदोलन खत्म किया था,लेकिन बारदाना नहीं पहुंचने के कारण देवभोग, लाटापारा, झाखरपारा, निष्टिगुड़ा, गोहरापदर, ढोर्रा, तेतलखूटी, भेजिपदर, उरमाल व अमलीपदर खरीदी केंद्र में धान खरीदी बन्द है. इससे आक्रोशित किसानों ने फिर से गोहरापदर चौराहे पर नेशनल हाइवे 130 सी को जाम कर दिया. भाजपा भी किसानों के आंदोलन के समर्थन में आ गई है. पूर्व विधायक गोवर्धन माँझी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जुमले की चुटकी लेते हुए कहा कि बिना बारदाना के किसान के दाने-दाने की लेवाली कैसे होगी. जिस व्यवस्था को सुचारू रूप से किया जाना था, दुर्भाग्य है कि उसके लिए किसानों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है.

रकबा खत्म करने पर सभा में फफक पड़ा किसान 

बूरजाबहाल के 62 वर्षीय किसान सोमवार मांझी जाम स्थल पर सभा को सम्बोधित कर रहा था, उसने बताया कि कांडकेला सहकारी समिति से उसने 85 हजार कर्ज लिया हुआ है,यह लोन उसके 7 एकड़ रकबे के आधार पर दिया गया,लेकिन धान बेचने की बारी आई तो उसका रकबा शून्य कर दिया गया. किसान ने फफकते हुए कहा कि 20 दिनों से वह अपने 13 साथियों के साथ समिति व ऑपरेटर का चक्कर लगा रहा है, लेकिन रकबा वापस नही आया. भरे सभा में सरकारी सिस्टम को कोसते हुए उन्होंने कहा कि किसानों पर दमन करने वाली ब्रिटिश सरकार याद आ गया है. ऐसे ही 200 से ज्यादा किसान है जिनका रकबा शून्य करने के कारण आक्रोश बढ़ गया है.

50 हजार बारदाने में केवल 5 हजार पहुंचा

क्षेत्र के सभी 10 खरीदी केंद्रों में पुराने बारदाने के अभाव में खरीदी बंद है. हालत यह है कि अब तक करीबन 20 फीसदी धान की खरीदी हो सकी है. 10 केंद्रों में कुल 10 लाख 48 हजार खरीदी लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अब तक 1 लाख 78 हजार क्वी ही खरीदी किया गया है. वहीं दूसरी ओर खरीदी केंद्र के अधीन आने वाले 170 गांव में अब तक अवैध धान भंडारण के 60 से भी ज्यादा प्रकरण दर्ज किए गए हैं, लेकिन इनकी सुनवाई अब तक शुरू नहीं हुई है. किसानों का आरोप है कि ज्यादातर कार्रवाई नियम विरुद्ध की गई है.