नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच हुई सातवें दौर की चर्चा भी बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गई. बैठक में 8 जनवरी को दोबारा चर्चा करने का निर्णय लिया गया.

केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल और केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश की दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों के प्रतिनिधियों से सातवें दौर की चर्चा विज्ञान भवन में हुई. करीबन चार घंटे तक चली चर्चा में किसान एक तरफ तीनों कृषि कानूनों को हटाने पर अड़े थे, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री कानून के उन प्रावधानों पर चर्चा करने को राजी थे, जिन पर किसानों को आपत्ति है. आखिरकार बात किसी नतीजे में नहीं पहुंचने पर 8 जनवरी को एक बार फिर बैठक करने का निर्णय लिया गया.

बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 8 तारीख को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी. तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर फिर से बात होगी. हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं होगी. वहीं आल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार बहुत दबाव में है. हमने केवल कानूनों को वापस लेने की मांग की है. इसके अलावा हम और किसी विषय पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं. इन कानूनों की वापसी से पहले किसानों का प्रदर्शन समाप्त नहीं होगा.

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चर्चा का माहौल अच्छा था, परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया. 8 तारीख को अगली बैठक होगी। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिए अगली बैठक तय हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पूरे देश के किसानों के हितों को ध्यान सरकार के किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर इन कानूनों को बनाया है. किसानों के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी की सरकार संवेदनशील है. किसान आंदोलन कर रहे हैं, तो यूनियन की तरह से वह विषय सामने आए जो किसानों के बीच में है.