सुप्रिया पांडे,रायपुर। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने रायपुर को रेड जोन में शामिल करने को लेकर कहा कि आज की तारीख में केवल रायपुर नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में जिस तरीके से वैश्विक महामारी फैली है. उस संक्रमण को रोकने में सरकार सफल हुई है. कोरबा, सूरजपुर में भी हमारे राज्य के वहां संक्रमित मरीज नहीं थे जो लोग बाहर से आए थे, उसका संक्रमण फैला था. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर को रेड जोन में शामिल करना कोई औचित्य नहीं है.

केंद्र सरकार ने मापदंड तय किया है. कोरबा-कटघोरा में नियंत्रण की स्थिति में है, लेकिन जहां ज्यादातर कोरोना के मरीज पाए गए उसको ऑरेंज जोन में डाला गया है. सूरजपुर का जहां तक सवाल है. स्थानीय स्तर पर वह संक्रमण फैलाने वाले कोई भी लोग नहीं थे. झारखंड के मजदूर और महाराष्ट्र बॉर्डर पार करके आए थे वहां से कुछ लोगों में संक्रमण मिला, लेकिन प्रशासन ने जिस तरीके से इलाके को सील बंद किया जो संक्रमित लोग हैं.

मजदूरों को लेकर कहा कि केंद्र सरकार की एडवाइजरी 2 दिन पहले जारी हुई है. सौभाग्य से कल ही मुख्यमंत्री ने इसकी समीक्षा बैठक की है और कहां-कहां कितने मजदूर है इसकी जानकारी मिली है. उन्हें ट्रेन से लाया जा सकता है या किस प्रकार की व्यवस्था उनके लिए हो पाएगी यह तय किया जाना है. अलग-अलग जिम्मेदार अफसरों को अलग-अलग राज्यों में की जिम्मेदारी सौंपी गई है. आने वाले दिनों में देखिएगा कि छत्तीसगढ़ के मजदूरों को लाने की व्यवस्था के संदर्भ में राज्य सरकार के प्रयास आपको दिखाई देंगे. साथ ही मजदूरों से टिकट भी नहीं लिया जाएगा. हम मजदूरों के लिए पूरी व्यवस्था करेंगे. जैसा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह हमारे अपने लोग हैं उनके लाने की व्यवस्था हम करेंगे. यदि केंद्र सरकार इसमें सकारात्मक रूप नहीं दिखाता.

दो लाख के आसपास छत्तीसगढ़ के ऐसे मजदूर है, जो पलायन किए हैं, लेकिन नोडल अफसर सोनमणी बोरा की अध्यक्षता में एक सेल बनाया हुआ था जिसमें टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. लगभग एक लाख से अधिक मजदूरों का सूचना मिली हुई और उसमें कितने लोग पैदल अपने रास्ते पहुंच चुके हैं. कितने लोग रास्ते में है, कितने लोग की अपने साधनों से छत्तीसगढ़ की सीमा को पार कर चुके हैं और कितने लोग आज की तारीख में प्रतीक्षारत है यह समय बताएगा. लेकिन हमारे पास जो रिपोर्ट है वो एक लाख से अधिक मजदूरों का है.

राज्य सरकार की ओर से निर्देश जारी हो चुका है कि जो मजदूर आएंगे उनको सीमा में ही उनका प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा. बाहर से मजदूर आएंगे उनको उनके गांव तक पहुंचा कर उनको क्वारंटाइन करना और आइसोलेशन में भेजने का निर्णय किया गया है. उनको निश्चित रूप से 14 दिन तक आइसोलेशन में रहना ही होगा. यह तीन बातें तो प्रमुख है. जहां तक रोजगार और काम का सवाल है छत्तीसगढ़ हिंदुस्तान का सबसे ज्यादा मजदूरों को काम देने वाला राज्य है. आज की तारीख में रोजगार गारंटी में 13 लाख से अधिक मजदूर छत्तीसगढ़ में काम में लगे हुए है.