पुरुषोत्तम पात्र, देवभोग। जिले के 38 सहकारी समिति में धान की पैदावारी नहीं होने वाले 6472 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन निरस्त किया गया है, पिछले सीजन तक इन बोगस रकबे पर 59 करोड़ 86 लाख रुपये के धान खरीदी होती रही है, इस बार कलेक्टर की निगरानी में गिरदावरी के आंकड़ों में अंतर आया है. समर्थन मूल्य में धान खरीदी योजना में उन्ही किसानों को ही फायदा मिलेगा. जिन्होंने ने धान की पैदावारी लिया है, नई सरकार की इसी मंशा के आधार पर प्रशासन ने पंजीयन से पहले धान बोनी किये गए वास्तविक रकबे का सत्यापन पटवारी व कृषि अधिकारीयो के माध्यम से करवाया है. जिसमें चौकाने वाले आंकड़े सामने आए है.

जिला सहकारी विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस साल 85744 हेक्टेयर धान के रकबे का पंजियन किया गया है,जबकि पिछले साल 92216 हेक्टयर का पंजीयन हुआ था जिसमे धान की बिक्री की गई थी. आंकड़े बता रहे हैं, की इस बार 6472 हेक्टेयर  रकबे कम हुए हैं, जिस पर 2500 के दर पर 59 करोड़ 86 लाख रुपये के धान बेचे गए थे.1821 किसानों के नाम भी निरस्त किये गए हैं ,ये वो किसान थे जिनके रकबे तो थे पर धान की पैदावारी नही ले रहे थे. लेकिन इन रकबो मे भी धान की बिक्री हो रही थी. कलेक्टर श्याम धावड़े ने कहा कि पिछ्ले सीजन में इस बात की जानकारी लगी थी कि कुछ लोग बोगस पंजीयन करवाने में सफल हो गए थे,इस बार इन्ही खामियों को दूर करने का पूरा प्रयास किया गया. पूरी टीम ने मेहनत व लगन से काम किया,जिसका परिणाम अब दिखने लगा है. किसानों के मेहनत के उपज के हर दाने को योजना में शामिल किया जाएगा, पर जिनके द्वारा धान उगाया नही गया है,और बाहर से ला कर योजना का लाभ लेते है ऐसे लोगो पर नकेल कसने की तैयारी किया गया है.

 

ओड़िसा सीमा से लगे समितियों में ज्यादा बोगस रकबे मिले थे

रिपोर्ट के मुताबिक ओड़िसा सीमा से लगे देवभोग के 4 सहकारी समिति में 1171 हेक्टेयर रकबे की कटौती हुई है. ऐसे ही मैनपुर विकास खण्ड के अमलिपदर,कांडेकेला,उरमाल, के अलावा छूरा तहसील में ओड़िसा सीमा से लगे समितियों में इस तरह के रकबो की ज्यादा कटौती हुई है. पिछले वर्ष इन्ही समितियों में खाद्य विभाग के क्रोश चेकिंग में रकबे के अनुपात में ज्यादा धान रखने वालों किसानों पर कार्यवाही की गई थी. इन सबके अलावा इस बार खरीदी की तैयारी का सीएम व सीएस स्तर पर लगातार बैठक कर समीक्षा  किया गया,सीमावर्ती इलाकों में हो रही गड़बड़ी को रोकने निर्देश जारी किए गए थे.

कलेक्टर ने हर सर्कल में बनाया था नोडल, ताकि पटवारी पर नियंत्रण बना रहे 

धान खरीदी योजना में गिरदावरी की भूमिका सबसे अहम होती है।इस बार पटवारी के साथ साथ कृषि अधिकारी की सयूक्त टीम बनाई गई जो,एक एक रकबे तक पहूच धान बोनी किये गए रकबे का रिकार्ड तैयार करे , इससे पहले केवल पटवारी के भरोसे इस रिपोर्ट को छोड़ दिया गया था. कुछ रकबे तक  पहुंच कर बाकी की जानकारी टेबल पर तैयार हो जाता था. संयुक्त टीम के अलावा सर्किल वाइज एक एक विभाग के ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को सर्कल का नोडल बनाया गया था जो,मैदानी कर्मियों की सतत मोनिटरिंग कर रहे थे.