बिहार में विधानसभा चुनावों पर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने मुंबई में एक बड़ी मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भी नकली और डुप्लीकेट वोटर्स को हटाने के लिए SIR (Systematic Information Review) लागू किया जाना चाहिए। संजय निरुपम की यह मांग ऐसे समय में आई है जब देशभर में मतदाता सूची की शुद्धता और चुनावी पारदर्शिता को लेकर चर्चा तेज है। उनका कहना है कि SIR जैसी प्रणाली से चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बढ़ेगा और नकली वोटिंग को रोका जा सकेगा।

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया से पहले बिहार में SIR (Systematic Information Review) लागू किया गया था, जिसके तहत फेक वोटर्स और घुसपैठियों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। निरुपम ने बताया कि इस प्रक्रिया में लगभग 40 लाख नकली वोटर्स की पहचान कर उनकी सूची से नाम हटाए गए। उन्होंने कहा, “इसी तरह महाराष्ट्र में भी वोटर लिस्ट की सफाई होनी चाहिए। यहां बड़ी संख्या में नकली वोटर्स और घुसपैठिए शामिल हैं। शिवसेना की तरफ से हम महाराष्ट्र में SIR की मांग करते हैं।”

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा कि जिस तरह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में SIR (Special Intensive Revision) के तहत फर्जी मतदाताओं को हटाने का अभियान चलाया गया था, उसी तरह महाराष्ट्र में भी इसे लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “बिहार में जब यह कार्रवाई हुई थी, तब विरोधी दलों ने विरोध किया था। आज वही लोग ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाते हैं।” निरुपम ने दावा किया कि महाराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता सूची में शामिल हैं, जिनमें से कुछ के अंडरवर्ल्ड से संबंध होने की आशंका है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना के कुछ उम्मीदवार ऐसे फर्जी मतदाताओं के आधार पर जीतते हैं और SIR के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी।

संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधा और कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी कांग्रेस की खुशामद करने वाली बन गई है, जबकि उनके पिता बालासाहेब ठाकरे कांग्रेस को नकार चुके थे। इसके बावजूद, उन्होंने कहा कि उद्धव को इस रवैये से कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिला।

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा कि उनकी पार्टी हिंदुत्व के विचारों पर आगे बढ़ने वाली है और भाजपा के साथ उसका गठबंधन मजबूत और स्थायी है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि उन्होंने कांग्रेस और शरद पवार के साथ मिलकर बाला साहेब ठाकरे के विचारों से गद्दारी की है।

निरुपम ने कहा, “पिछले चार वर्षों से उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने पार्टी, प्रतीक और उनके पिता की विरासत चुरा ली, लेकिन यह केवल भावनात्मक मुद्दा है, इसमें कोई कानूनी या तथ्यात्मक आधार नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि उद्धव ने खुद हिंदुत्व की विचारधारा छोड़ दी, जिससे शिवसैनिकों में असंतोष फैला। इसके चलते एकनाथ शिंदे ने बाला साहेब के हिंदुत्व विचारों के अनुरूप भाजपा के साथ मिलकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि अब रोना बंद करें और विकास के मुद्दों पर बात करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि धनुष-बाण प्रतीक शिवसेना का था और आज भी शिवसेना का ही है। निरुपम ने कहा, “उद्धव ठाकरे अगर एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम नहीं मानते, तो यह संविधान का अपमान है। जब संविधान पर भरोसा नहीं है, तो ‘संविधान बचाओ रैली’ निकालने का क्या मतलब?बाला साहेब ठाकरे के रक्त के वारिस उद्धव हो सकते हैं, लेकिन उनके विचारों के वारिस शिंदे और शिवसैनिक हैं।”

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने बयान दिया कि एनसीपी नेता संजय राउत का दावा कि एकनाथ शिंदे के पास पांच लाख करोड़ की संपत्ति है, पूरी तरह निराधार और हास्यास्पद है। उन्होंने कहा, “जब किसी ने बाला साहेब ठाकरे पर 100 करोड़ की संपत्ति का आरोप लगाया था, तब उन्होंने कहा था ‘कागज लेकर आओ और आधी संपत्ति ले जाओ।’ अब वही बात मैं राउत से कहना चाहता हूं कागज लेकर आइए और आधी संपत्ति लेकर जाइए।” निरुपम ने आगे दावा किया कि विधानसभा चुनाव में जैसी स्थिति यूबीटी (एकनाथ शिंदे समर्थक शिवसैनिकों) की रही थी, वैसी ही स्थिति स्थानीय निकाय चुनावों में भी होगी।

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