रायपुर। विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 4 अगस्त को है। इस मामले के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल दिल्ली रवाना हो गए हैं। दरअसल बीते साल कांग्रेस की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वासन प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष खुद अपने अविस्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इस मामले भूपेश बघेल हाईकोर्ट गए लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद भूपेश बघेल सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। अब इसी मामले में 4 अगस्त को अहम सुनवाई होने जा रही है।आपको बता दे कि कांग्रेस पार्टी की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के ट्रस्ट छगनलाल गोविंदलाल ट्रस्ट ने रायपुर के महादेव घाट के पास उस जमीन पर मंदिर, दुकाने और भवन बना दिया है। और इसी जगह को सरकार ने सरकारी जमीन बताया है। इस जमीन पर निर्माण का प्रस्ताव शासन द्वारा पहले ही खारिज किया जा चुका था। इसके बावजूद मंदिर एवं दूसरे निर्माण किसके आदेश पर कराए गए। इसी मुद्दे पर विस अध्यक्ष के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने पेश ही नहीं होने दिया था।
रायपुर। विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 4 अगस्त को है। इस मामले के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल दिल्ली रवाना हो गए हैं। दरअसल बीते साल कांग्रेस की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वासन प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष खुद अपने अविस्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इस मामले भूपेश बघेल हाईकोर्ट गए लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद भूपेश बघेल सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। अब इसी मामले में 4 अगस्त को अहम सुनवाई होने जा रही है।आपको बता दे कि कांग्रेस पार्टी की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के ट्रस्ट छगनलाल गोविंदलाल ट्रस्ट ने रायपुर के महादेव घाट के पास उस जमीन पर मंदिर, दुकाने और भवन बना दिया है। और इसी जगह को सरकार ने सरकारी जमीन बताया है। इस जमीन पर निर्माण का प्रस्ताव शासन द्वारा पहले ही खारिज किया जा चुका था। इसके बावजूद मंदिर एवं दूसरे निर्माण किसके आदेश पर कराए गए। इसी मुद्दे पर विस अध्यक्ष के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने पेश ही नहीं होने दिया था।