अहमदाबाद प्लेन हादसे के एक महीने बाद शुरुआती जांच रिपोर्ट आ गई है। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने 12 जुलाई को 15 पेज की रिपोर्ट सार्वजनिक की। इस रिपोर्ट के अनुसार एअर इंडिया के विमान (AI 171) के दुर्घटना के पीछे फ्यूल कंट्रोल स्विच के शिफ्ट होने को संभावित कारण माना जा रहा है, लेकिन प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में एक प्रमुख मुद्दे की ओर इशारा किया गया है, जिसे अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (FAA) ने 2018 में ही बोइंग 737 जेट्स के लिए फ्लैग किया था.

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अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन ने दी थी चेतावनी

दिसंबर 2018 में, अमेरिकी विमानन नियामक ने एक विशेष एयरवर्थिनेस इन्फॉर्मेशन बुलेटिन (SAIB) जारी किया, जिसमें कहा गया कि कुछ बोइंग 737 विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच लॉकिंग फीचर के बिना लगाए गए थे. चूंकि यह सिर्फ एक सलाह थी, इसे असुरक्षित स्थिति नहीं माना गया.

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पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या तुमने स्विच बंद किया है?

रिपोर्ट में बताया गया कि, टेकऑफ के तुरंत बाद एक-एक करके दोनों फ्यूल स्विच बंद हो गए थे, इस वजह से दोनों इंजन भी बंद हो गए। इस दौरान कॉकपिट की रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या तुमने स्विच बंद किया है? दूसरे ने जवाब दिया, नहीं।

अमेरिकी मीडिया न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक्सपर्ट के हवाले से कहा है कि रिपोर्ट में शामिल सभी प्वाइंट्स प्लेन में टेक्निकल गड़बड़ी न होने और पायलेट से चूक की ओर इशारा कर रहे हैं।

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फ्यूल स्विच का काम और तकनीक

 Fuel control switch air india plane crash

फ्यूल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं। ये इंजन में फ्यूल की सप्लाई को कंट्रोल करते हैं। इसका मुख्य काम इंजन में फ्यूल की सप्लाई को शुरू करना (‘रन’ पोजिशन) या बंद करना (‘कटऑफ’ पोजिशन) है।

हर इंजन के लिए अलग-अलग फ्यूल कंट्रोल स्विच होता है। उदाहरण के लिए, बोइंग 787 में दो इंजन हैं, तो दो स्विच होंगे – एक बाएं इंजन के लिए, एक दाएं के लिए।

रन पोजिशन: जब स्विच ‘रन’ पर होता है, तो फ्यूल वाल्व खुलता है और इंजन में फ्यूल की सप्लाई शुरू हो जाती है। इससे इंजन चालू रहता है और विमान को थ्रस्ट मिलता है।

कटऑफ पोजिशन: जब स्विच को ‘कटऑफ’ पर किया जाता है तो फ्यूल वाल्व बंद हो जाता है और इंजन में फ्यूल की सप्लाई रुक जाती है। इससे इंजन तुरंत बंद हो जाता है।

फ्यूल स्विच स्प्रिंग-लोडेड होते हैं और इनमें डिटेंट (एक तरह का लॉक) होता है, जो इन्हें अपनी पोजिशन में स्थिर रखता है। स्विच को हिलाने के लिए तीन स्टेप्स चाहिए – पकड़ना, डिटेंट से बाहर निकालना, और रिलीज करना। ये कोई नॉर्मल स्विच नहीं है जो गलती से धक्का लगने से दब जाए जाए।

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MoCA के पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी ने पायलट को लेकर कहा- उन्हें दोष नहीं दे सकते

सिविल एविएशन मिनिस्ट्री (MoCA) के पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी संत कौल ने सुझाव दिया कि पायलट्स को दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वे बहुत अनुभवी थे. कौल ने इंडिया टुडे को बताया कि हम पायलट्स को दोष नहीं दे सकते, जो बहुत अनुभवी थे. तो, बोइंग द्वारा प्रदान की गई सिस्टम में कुछ गंभीर गलती थी कि फ्यूल टैंक्स स्विच ऑफ हो गए. हम तभी जान पाएंगे जब पूरी जांच हो जाएगी.

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पायलट्स और सिस्टम

पायलट्स, जो बहुत अनुभवी थे को दोष नहीं दिया जा सकता. कमांडिंग पायलट सुमीत सभरवाल के पास 15,638 घंटे की उड़ान का अनुभव था. उनके को-पायलट क्लाइव कंडर के पास 3,403 घंटे का अनुभव था. विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या बोइंग द्वारा प्रदान की गई सिस्टम में थी, जो फ्यूल टैंक्स को स्विच ऑफ कर सकती थी.

पूर्व AAIB अधिकारी कप्तान किशोर चिंता ने सवाल किया कि क्या स्विचेस विमान के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट की समस्या के कारण ट्रिगर हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ, तो यह चिंता का विषय है.

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हादसा

लंदन के लिए रवाना एअर इंडिया की उड़ान 12 जून को अहमदाबाद से टेकऑफ के तुरंत बाद एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में क्रैश हो गई. विमान में सवार 242 लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति बच पाया. जमीन पर 19 लोगों की मौत हो गई.

इस हादसे से पता चलता है कि विमानन सुरक्षा में छोटी-छोटी चीजें कितनी महत्वपूर्ण होती हैं. FAA की सलाह को अनदेखा करना एयर इंडिया के लिए भारी पड़ गया. उम्मीद है कि पूरी जांच के बाद इस हादसे के कारणों को स्पष्ट किया जाएगा. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे.