हिंदू धर्म में कुछ विशेष व्रत त्योहारों का अलग महत्व है और इन्हें विधि-विधान से मनाया जाता है जिससे घर में खुशहाली बनी रहे. ऐसे ही व्रत पर्वों में से एक है अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत. यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है. यानी आज 5 नवंबर को व्रत रखा है.
इस दिन माताएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत के लिए निर्जला उपवास करती हैं और अहोई माता का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करती हैं. इस दिन मुख्य रूप से अहोई माता (Ahoi Ashtami) का पूजन किया जाता है और बच्चों की सफलता के लिए पूजन होता है. Read More – Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Samarth Jurel ने घर में की हदें पार, वायरल हो रहा Video …
कौन हैं अहोई माता
वास्तव में अहोई का तात्पर्य है कि अनहोनी को भी बदल डालना. उत्तर भारत के विभिन्न अंचलों में अहोईमाता का स्वरूप वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार बनता है. अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन मुख्य रूप से चांदी की अहोई बनाई जाती है. इस दिन घर को गोबर से लीपा जाता है और कलश स्थापना भी की जाती है. लोग दीवार पर कैलेंडर लगाते हैं या फिर अहोई माता का चित्र गेरू से बनाते हैं.
अहोई माता का चित्र बनाने के लिए एक पुतली बनाई जाती है जो अहोई माता का प्रतीक होती हैं और उनके चारों ओर उनके 8 बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं. यह पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है. इसमें पुत्र की दीर्घायु की कामना में पूजन किया जाता है. Read More – 35 साल के हुए Virat Kohli : क्रिकेट के हर फॉर्मेट में खूब चला विराट का बल्ला, ये हैं उनके 35 खास रिकॉर्ड …
अहोई अष्टमी की कहानी
दंतकथा के अनुसार एक बार एक औरत अपने 7 पुत्रों के साथ एक गाँव में रहती थी. एक दिन कार्तिक महीने में वह औरत मिटटी खोदने के लिए जंगल में गयी. वहाँ पर उसने गलती से एक पशु के शावक की अपनी कुल्हाड़ी से हत्या कर दी. उस घटना के बाद उस औरत के सातों पुत्र एक के बाद एक मृत्यु को प्राप्त हो गए. इस घटना से दुखी हो कर उस औरत ने अपनी कहानी गाँव की हर एक औरत को सुनाई. एक बड़ी औरत ने उस औरत को यह सुझाव दिया की वह माता अहोई अष्टमी की आराधना करे. पशु के शावक की सोते हुए हत्या के पश्चाताप के लिए उस औरत ने शावक का चित्र बनाया और माता अहोई अष्टमी के चित्र के साथ रख कर उनकी पूजा करने लगी. उस औरत ने 7 वर्षों तक अहोई अष्टमी का व्रत रखा और आखिर में उसके सातों पुत्र फिर से जीवित हो गए.
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