अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi HighCourt)के उस आदेश के खिलाफ अपील की है, जिसमें 27 हफ्ते की गर्भवती एक नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दी गई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल पीठ ने 30 जून को AIIMS को निर्देश दिया था कि वह 16 वर्षीय पीड़िता का गर्भपात कराए.
AIIMS ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने आदेश के खिलाफ अपील की है. AIIMS की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि गर्भपात का नाबालिग की भविष्य की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह एक अभिभावक की भूमिका निभाते हुए पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की कि रेप पीड़िता को गर्भावस्था को जारी रखने की सलाह देना उसकी मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है. AIIMS मेडिकल बोर्ड ने यह भी बताया कि 27 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करना नाबालिग की भविष्य की गर्भधारण क्षमता को खतरे में डाल सकता है और इसके लिए सिजेरियन ऑपरेशन की आवश्यकता भी हो सकती है.
हालांकि, नाबालिग लड़की और उसकी मां ने गर्भावस्था को जारी रखने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया. उन्होंने अदालत में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि डॉक्टरों ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत समय सीमा समाप्त होने के कारण गर्भपात करने से मना कर दिया था.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने दी मामले में अहम दलील
दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को सूचित किया कि 24 हफ्ते की गर्भावस्था के बाद गर्भपात केवल दो परिस्थितियों में किया जा सकता है: जब महिला की जान को खतरा हो या भ्रूण में कोई गंभीर विकृति हो. पीड़िता के वकील ने अदालत को बताया कि नाबालिग के साथ यौन शोषण की पहली घटना दीवाली 2024 के दौरान हुई थी, जिसे उसने किसी को नहीं बताया.
मार्च 2025 में उसके साथ दूसरी बार बलात्कार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हो गई. गर्भावस्था की जानकारी उसे तब मिली जब उसने डॉक्टर के पास जाकर जांच करवाई. इसके बाद उसने अपने परिवार को इस घटना के बारे में बताया, जिसके चलते एफआईआर दर्ज की गई. उस समय तक उसकी गर्भावस्था 24 सप्ताह से अधिक की हो चुकी थी.
कोर्ट को बताया कि आरोपी हो चुका है गिरफ्तार
दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया गया है कि मार्च में बलात्कार के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि पूर्व की घटना का आरोपी अभी भी फरार है. एकल न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का उल्लेख करते हुए गर्भावस्था के 27 से 33 हफ्ते के बीच गर्भपात की अनुमति देने का आदेश दिया था.
अदालत ने निर्देश दिया कि AIIMS सभी चिकित्सा रिकॉर्ड को सुरक्षित रखे और भ्रूण के ऊतकों को संरक्षित करे, ताकि डीएनए जांच में सहायता मिल सके. इसके साथ ही, दिल्ली सरकार को पीड़िता के चिकित्सा खर्च, अस्पताल में भर्ती रहने और ऑपरेशन के बाद की देखभाल का पूरा खर्च उठाने का आदेश भी दिया गया था.
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