देहरादून. शुगर के मरीजों को होने वाली डायबिटिक गैस्ट्रोपेरेसिस बीमारी अब लाइलाज नहीं रह गई है. एम्स के चिकित्सकों ने बीमारी के उपचार के लिए नई दवा ईजाद की है. चिकित्सकों ने दो से चार सप्ताह के कोर्स से बीमारी के जड़ से समाप्त होने का दावा किया है. एम्स को इस दवा का पेमेंट भी मिल गया है.
समय के साथ शुगर शरीर के अन्य हिस्सों में भी प्रभाव डालता है. जिनमें पेट की आंतों की नसें भी शामिल हैं. पेट की वैगस तंत्रिका के क्षतिग्रस्त होने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं. इससे शुगर के मरीज को डायबिटिक गैस्ट्रोपेरेसिस रोग भी हो जाता है.
एम्स में मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत बताते हैं कि इस रोग के उपचार के लिए बाजार में दवाएं उपलब्ध हैं. लेकिन यह दवाइयां डायबिटिक गैस्ट्रोपेरेसिस को जड़ से समाप्त नहीं करती हैं. जब तक दवाइयों का सेवन किया जाता है तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है. लेकिन दवाइयां बंद करते ही फिर से इसके लक्षण उभरने लगते हैं.
प्रो. रविकांत ने बताया कि वह इस रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए सात-आठ सालों से काम कर रहे थे. ठंडे क्षेत्रों में पाई जाने वाले औषधीय पादपों से इस रोग के उपचार के लिए दवाई ईजाद की है, जो मात्र दो से चार हफ्तों के सेवन पर इस रोग को जड़ से समाप्त कर रही है.
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प्रो. रविकांत ने बताया कि जिन लोगों पर इस दवाई का परीक्षण किया गया, छह माह तक दवाई बंद करने के बाद भी उनमें बीमारी के लक्षण वापस नहीं आए हैं. इस दवाई के पेटेंट के लिए उन्होंने वर्ष 2021 में आवेदन किया था. पिछले अक्तूबर के उन्हें पेटेंट मिल गया है. दवाई बाजार में उपलब्ध हो गई है.