रायपुर। एम्स अस्पताल में स्थित सरकारी मेडिकल स्टोर द्वारा बेचे गए एक्सपायरी इंजेक्शन को मरीज को लगाने के मामले में इसकी गाज दो फार्मेसिस्टों पर गिरी है. अमृत प्रबंधन द्वारा दो फार्मेसिस्ट किरण गुवाल और चितरंजन कश्यप को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है. इसके साथ ही इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति का भी गठन किया गया है.

आपको बता दें कि दुर्ग जिले के पाटन स्थित ओदरागहन गांव निवासी प्रकाश चंद जैन के लंग्स में प्राब्लम की वजह से उन्हें 24 अप्रैल को भर्ती कराया गया था जहां उनका इलाज किया जा रहा था. प्रकाश चंद जैन को इंजेक्शन लगाया जा रहा था जो कि एम्स में स्थित अमृत फार्मेसी से खरीदा गया था. लेकिन उस इंजेक्शन की एक्सपायरी डेट फरवरी की ही थी. इंजेक्शन एक्सपायरी होने के बाद भी अमृत के फार्मेसिस्टों ने उसे मरीज के परिजनों को बेच दिया, जिसके बिल में एक्सपायरी डेट वाले इंजेक्शन का बैच नंबर भी मौजूद है. इंजेक्शन लगने के बाद उनकी हालत और भी ज्यादा गंभीर हो गई.

नर्सिंग स्टाफ पर कोई कार्रवाई नहीं

अस्पताल में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन-दवा नर्सिंग स्टाफ के द्वारा ही दिया जाता है. उनकी जिम्मेदारी भी होती है कि वो जो दवा या इंजेक्शन दे रहे हैं वो खराब या एक्सपायरी तो नहीं है. इस मामले में नर्सिंग स्टाफ ने इंजेक्शन की बगैर एक्सपायरी डेट देखे मरीज को लगा दिया. लेकिन एम्स प्रबंधन द्वारा नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

जांच समिति का गठन

उधर इस मामले में एम्स अधीक्षक डॉ अजय दानी ने बताया कि अमृत फार्मेसी ने खुद दो फॉर्मेसिष्ट चितरंजन कश्यप और किरण कुमार की सेवा समाप्त की है. ये दोनों उस समय ड्यूटी पर मौजूद थे. दोनों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त की गई है और यहां के नर्सिंग ऑफिसर में अगर ऐसी कोई घटना हुई है कि लगा है कि तो उसकी एक जांच समिति बनाई गई है. तीन डॉक्टरों की कमेटी जांच करके रिपोर्ट देगी.असिस्टेंट प्रोफेसर फॉर्मेकोलॉजी डॉ आलोक सिंह, डॉ रंगनाथन और डॉ एच दास कमेटी में है.