पटना। बिहार की राजधानी पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फर्जी ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में दो डॉक्टरों डॉ. कुमार सिद्धार्थ और डॉ. कुमार हर्षित राज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
पूरे चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं
सीबीआई की जांच के मुताबिक, पहले मामले में डॉ. कुमार सिद्धार्थ ने एसडीओ पटना सदर से जारी फर्जी ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर फिजियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर की नौकरी पाई। दिलचस्प बात यह है कि शुरू में उनका चयन एसोसिएट प्रोफेसर पद पर हुआ था, लेकिन बाद में पद घटाकर असिस्टेंट प्रोफेसर कर दिया गया। आरोप है कि इस प्रक्रिया के दौरान उनके पिता डॉ. प्रेम कुमार एम्स पटना में रेडियोलॉजी विभाग के डीन और प्रमुख थे, जिससे पूरे चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं।
सामान्य श्रेणी में हुआ था
दूसरे मामले में, डॉ. कुमार हर्षित राज का चयन ट्यूटर/डेमॉन्स्ट्रेटर के पद पर सामान्य श्रेणी में हुआ था। हालांकि, उन्होंने एसडीओ अदार, पटना द्वारा जारी फर्जी ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाने की कोशिश की। यह प्रयास सीबीआई की जांच में पकड़ में आ गया।
सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई।
पूरा मामला तब उजागर हुआ जब सत्येंद्र कुमार नाम के व्यक्ति ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद सीबीआई इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने प्रारंभिक जांच की, जिसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गई। जांच में यह भी सामने आया कि डॉ. कुमार सिद्धार्थ ने तीन अलग-अलग प्रमाणपत्रों—संख्या BOBCDM/2023/89504, BOBCSDO/2023/148247 और BOBCCO/2023/364518—का इस्तेमाल किया था।
किन अधिकारियों की भूमिका थी
सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अब आगे की जांच में यह पता लगाया जाएगा कि इस पूरे प्रकरण में किस-किस स्तर पर मिलीभगत हुई और प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में किन अधिकारियों की भूमिका थी।
पारदर्शिता पर सवाल
यह मामला न सिर्फ एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि सरकारी नौकरियों में जातीय आरक्षण और प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग की गंभीर समस्या को भी उजागर करता है। जांच एजेंसी अब इस बात की भी पड़ताल कर रही है।
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