सत्यपाल राजपूत. रायपुर.  कोरोना वायरस के डर और दहशत के बीच प्रदेश में 90 प्रतिशत मरीज को स्वस्थ्य कर घर भेजने के बाद एम्स चर्चा में है, और तारिफ के हकदार भी, एम्स अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों और नर्सिंग स्टॉफ ने मिलकर अब तक कोरोना वायरस के सात रोगियों को पूरी तरह से ठीक करके उनके परिवार के पास वापस भेज दिया है.

                             डॉ नम्रता छाबड़ा

इसमें चिकित्सकों के साथ नर्सिंग स्टॉफ ने भी अपनी चिंता न करते हुए प्रदेश को कोरोना वायरस से बचाए रखने और रोगियों को ठीक करने में अहम योगदान दिया. अब पहली शिफ्ट के चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ 14 दिन के क्वारेंटाइन में हैं.डॉ नम्रता छाबड़ा के नेतृत्व में एम्स की पूरी टीम काम कर रही है.

ये हैं वो 6 कोहिनूर हीरे

  1. शांति टोपो

अस्सिटेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, एम्स रायपुर

एम्स के आयुष भवन में कोरोना वायरस के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में कार्य करना एक अलग अनुभव रहा. हमारे लिए य़ह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था. जीवन में कुछ बार इस प्रकार की परिस्थितियों का निर्माण होता है मगर हम भी अपने संकल्प पर डटे रहे. अनुभवी टीम लीडर एवं ऊर्जावान स्टाफ के बेहतरीन तालमेल से हमने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया. निश्चित तौर पर वैश्विक महामारी होने की वजह से एक भय के  माहौल का निर्माण हुआ है किंतु आपसी तालमेल एवं एक दूसरे को प्रेरित करते हुए हमने अपना कार्य संपन्न किया. बाहर से त्वरित सहयोग प्रदान करते हुए सभी ने हमारा पूर्ण सहयोग किया है. इसके लिए मैं निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. करन पीपरे का आभार प्रकट करती हूं कि उन्होंने हमे इस प्रकार का चुनौतीपूर्ण कार्य करने का अवसर दिया.घर में एक बेटी है. उसे छोड़कर रहना पड़ा..बच्ची से दूर रहना मुश्किल था मगर कर्तव्य प्रमुख होता है. अब खुशी का अहसास हो रहा है.

  1. चिदंबर कुलकर्णी

वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, एम्स रायपुर

कोरोना वायरस के वार्ड में कार्य करना एक चुनौती था क्योंकि यह एक फैलने वाली बीमारी है इसकी वजह से मरीज़ को एडमिट करने से लेकर डिस्चार्ज तक समस्त कार्य बड़ी सावधानी से करने पड़े. बेहतर प्रशासनिक सहयोग होने की वजह से पीपीई किट और एन-95 मास्क की कभी कोई कमी महसूस नहीं की गयी. सुरक्षा कर्मियों, सफाई कर्मचारियों, हॉस्पिटल अटेंडेंट, नर्सिंग अधिकारियों, वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारियों एवं डॉक्टर्स को मिलाकर लगभग 60 कर्मचारियों की टीम ने लगातार प्रतिदिन 12-12 घंटे की पारी में पूरे हफ्ते काम किया इसके बाद हमें 14 दिनों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से क्वारेंटाइन में रखा जा रहा है. यह हमारे लिए और हमारे परिवार की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है. इन परिस्थितियों में घर से दूर रहने पर भी हमारे दोस्तों एवं सहकर्मियों द्वारा लगातार सहयोग प्रदान किए जाने से हमारे मनोबल में वृद्धि हुई. अब हम स्वयं को किसी प्रकार की भी चुनौती के लिए पूर्णतः तैयार पा रहे हैं. इसके लिए मैं एम्स परिवार का धन्यवाद देना चाहता हूं. घर में एक पत्नी और बेटी है. पत्नी गर्भवती हैं. इस दौरान उनसे अलग रहने का दर्द था मगर कोरोना वायरस की चुनौती से भी निपटना था. अब आत्मगौरव की अनुभूति हो रही है. मरीज अपने कपड़े ला रहे थे और कभी-कभी अपने घर का खाना खा रहे थे जो उन्हें दिया गया.

3.आशीष कुमार नागर

सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, एम्स रायपुर

होली पर राजस्थान स्थित घर गया थे तभी कोरोना वायरस की वजह से एम्स में सभी की छुट्टी कैंसिल होने की सुनकर तुरंत आ गया. इसके बाद कोरोना वायरस के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगाई गई. सात दिन लगातार ड्यूटी की. यह चुनौतीपूर्ण समय था क्योंकि घर से दूर रहकर कोरोना वायरस के मरीजों को ठीक करने की चुनौती थी. इस दौरान लगातार रोगियों की काउंसलिंग कर रहे थे. कुछ रोगी हायर फैसीलिटी की मांग कर रहे थे उन्हें काउंसलिंग के माध्यम से एडजस्ट करने के लिए समझाना पड़ा. इन सात दिनों के दौरान घरवालों का पूरा सहयोग मिला. इस दौरान सहकर्मियों ने भी प्रोत्साहित किया और निरंतर मदद की. घर से लगातार फोन के माध्यम से बात कर रहे थे..परिवार में भाई, पापा-मम्मी, पत्नी और पुत्री है..इनसे दूर रहना वाकई मुश्किल था मगर इस मुश्किल में सभी का साथ रहा..अब बेहद खुश हूं…

4.विशोक एन.

                                                                सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, एम्स रायपुर

एम्स में कोरोना वायरस के जो रोगी एडमिट हुए वे सभी काफी नर्वस थे..इस बीमारी से मुकाबला करने के लिए उनको मनोवैज्ञानिक मदद देने की आवश्यकता थी..सभी रोगियों को निरंतर काउंसलिंग देना और उनका उत्साहवर्द्धन करना काफी चुनौतीपूर्ण था मगर सभी ने इस कर्तव्य का निर्वहन किया..मेरे माता-पिता पहले से ही सरकारी सेवा में हैं और सरकारी सेवा की कर्तव्य परायणता से भली-भांति परिचित हैं.. अतः उन्होंने खुद का ध्यान रखते हुए रोगियों की सेवा करने के लिए सदैव प्रेरित किया..परिवार में छोटा भाई और पापा-मम्मी हैं..इसके अलावा जुड़वां बच्चे पुत्र और पुत्री हैं..इनसे दूर रहने में थोड़ी दिक्कत महसूस जरूर हुई मगर अब उतनी ही खुशी का अहसास है..

  1. रविकिरन ताकसंडे

                                                               अस्सिटेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, एम्स रायपुर

सात दिन तक कोरोना वायरस के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी की। मगर इससे ज्यादा मुश्किल है क्वारेंटाइन पीरियड. अब बिल्कुल अकेले टाइम बिताना बड़ा मुश्किल लग रहा है..आइसोलेशन वार्ड में रोगियों के साथ और सहकर्मियों के साथ समय गुजर जाता था..अब अकेले समय काटना मुश्किल लगता है..पत्नी भी नर्सिंग स्टाफ में है..बेटी डेढ़ साल की है..आपस में काफी समन्वय होने की वजह से ज्यादा चुनौती नहीं मिली..ड्यूटी के दौरान प्रशासन ने पूरा सहयोग दिया. घर वाले निरंतर प्रोत्साहित करते रहे.. जिससे इस वायरस का इलाज करने में काफी मदद मिली..

  1. एश्ले माइकल

                                                              सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, एम्स रायपुर

मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती सहकर्मियों के मन में कोरोना वायरस के डर को दूर करने की थी..लगातार काउंसलिंग और वैज्ञानिक तथ्यों की मदद से मैंने इससे जुड़े मिथक को दूर करने की कोशिश की..इस दौरान परिजनों से पूरा सहयोग मिला..घर में पति है और तीन वर्षीय पुत्र..दोनों का काफी सहयोग मिला.. अब परिजनों के साथ दोबारा रहने का अवसर मिलेगा ऐसे में काफी संतुष्ट हूं..अपने कर्तव्य पर खरा उतरना सबसे ज्यादा जरूरी होता है..यह हमारे नर्सिंग स्टाफ ने कर दिखाया..