नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को AIIMS नर्स यूनियन से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उसके सदस्य तत्काल प्रभाव से अपनी ड्यूटी पर दोबारा शामिल हों, जिसके बाद यूनियन ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस ले ली. हड़ताल के संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने बुधवार सुबह इस मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि नर्सों को ‘मरीजों के हितों को ऊपर और बाहर रखना चाहिए’. बता दें कि नर्सों का प्रशासन से विवाद चल रहा है. बता दें कि 22 अप्रैल को ओटी मरीज की सेवा बाधित होने के मामले पर कार्रवाई करते हुए अस्पताल प्रशासन ने सोमवार रात नर्सिंग अधिकारी हरीश कुमार काजला को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. काजला के निलंबन को रद्द करने और यूनियन के सदस्यों के खिलाफ सभी प्रकार की जवाबी कार्रवाई को रोकने की मांग की जा रही है.
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अन्य तरीकों से नर्सों का विरोध रहेगा जारी
नर्स यूनियन ने एक बयान में कहा कि “माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के मद्देनजर कार्रवाई के बारे में चर्चा करने के लिए 26 अप्रैल को रात 8.30 बजे उपलब्ध यूनियन अधिकारियों और तदर्थ सदस्यों की एक बैठक आयोजित की गई है. दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कर्तव्यों के लिए फिर से शामिल होने के निर्देश के रूप में चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल को वापस लेने और अन्य तरीकों से आंदोलन और विरोध जारी रखने का निर्णय लिया गया है. सुनवाई के दौरान एम्स की ओर से पेश वकील सत्य रंजन स्वैन ने कहा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जनहित में नहीं है और इसे अवैध करार दिया.
नर्सों की हड़ताल से मरीजों को हुई भारी परेशानी
एम्स में प्रतिनियुक्त नर्सिंग अधिकारियों और अन्य आवश्यक कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने की खतरनाक प्रवृत्ति को देखते हुए अदालत ने यह भी कहा कि विकास के परिणामस्वरूप विभिन्न आपातकालीन ऑपरेशन रद्द कर दिए गए हैं और इसके कामकाज को गंभीर रूप से पंगु बना दिया है. यूनियन ने अपने अध्यक्ष हरीश काजला को अस्पताल प्रशासन द्वारा निलंबित किए जाने के बाद मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिसमें कार्रवाई को वापस लेने और यूनियन के अधिकारियों और मुख्य ओटी के यूनियन सदस्यों के खिलाफ किसी भी तरह के उपायों को रोकने की मांग की गई थी. काजला को ओटी पेशेंट सेवाएं बाधित करने की 22 अप्रैल की घटना के सिलसिले में सोमवार रात को निलंबित कर दिया गया था.
हरीश काजला पर रेजिडेंट डॉक्टर से बदसलूकी का आरोप
एक बयान में एम्स नर्स यूनियन ने कहा कि इस पूरे मुद्दे पर अपनी बात कहने और राय रखने के लिए हमें न तो बुलाया गया और न ही हमसे संपर्क किया गया, जिसके कारण हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुए. मामले को लेकर एम्स आरडीए ने कहा कि हरीश काजला का निलंबन उनके दुर्व्यवहार और एक रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल करने को लेकर की गई कार्रवाई है. जो कोई भी इस मामले को राजनीतिक लाभ के लिए मोड़ रहा है, ध्यान रखे कि आरडीए, एम्स हमेशा अपने स्टाफ के स्वाभिमान के लिए लड़ता आया है.
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