AJAB GAJAB NEWS: एक अजब गजब मामला सामने आया है. एक शख्स ने अपने 5 साल के मुर्गे की मौत के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए तेरहवी का आयोजन किया. तेरहवीं कार्यक्रम में 500 से अधिक लोगों को भोजन कराया. इस दौरान सभी ने मुर्गे की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

दरअसल, यूपी के प्रतापगढ़ जिले के फतनपुर थाना क्षेत्र के बेहदौल कला गांव के रहने वाले डॉ. शालिक्रम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं. उसने घर पर एक बकरी और एक मुर्गा रखा था. पूरा परिवार मुर्गे को इतना प्यार करने लगा कि उन्होंने उसका नाम लाली रखा.

8 जुलाई को एक कुत्ते ने बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया. यह देख लाली (मुर्गा) कुत्ते से भिड़ गया. बकरी का बच्चा तो बच गया, लेकिन कुत्ते के हमले में खुद लाली गंभीर रूप से घायल हो गया.9 जुलाई की शाम लाली की मौत हो गई.

इसके बाद उसके शव को घर के पास ही दफना दिया गया. यहां तक ​​कि सब कुछ सामान्य था, लेकिन जब डॉ. शालिराम ने रिवाज के अनुसार मुर्गे की तेरहवीं की घोषणा की तो लोग हैरान रह गए. इसके बाद अंतिम संस्कार की रस्में होने लगीं.

सिर मुंडवाने से लेकर अन्य रस्में पूरी की गईं. बुधवार की सुबह से ही हलवाई ने तेरहवीं का खाना बनाना शुरू कर दिया. शाम 6 बजे से रात करीब 10 बजे तक 500 से ज्यादा लोगों ने तेरहवीं पर पहुंचकर खाना खाया. इसकी चर्चा दूसरे दिन भी क्षेत्र में रही.

अनुजा सरोज कहती हैं कि लाली मुर्गा मेरे भाइयों जैसा था. उनकी मौत के बाद 2 दिन तक घर में खाना नहीं बना. रक्षाबंधन पर मुर्गे को राखी बांधी थी. तेरहवीं में 500 लोगों को भोज परोसा गया. उन्होंने बताया कि तेरहवीं में 40 हजार रुपए खर्च किए गए.

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