अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्यप्रदेश के रायसेन (Raisen) जिले में होली त्यौहार पर अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इसी परंपरा के कारण मध्यप्रदेश अजब गजब (Ajab gajab) कहा जाता है। जिला मुख्यालय से लगभग 7 किमी दूर भोपाल रोड़ स्थित बनगवां में कुर्मी गौर समाज की होली (Holi) पर सदियों पुरानी परंपरा (old tradition) के तहत बच्चों का सामूहिक मुंडन संस्कार (shaving ceremony) हुआ। वहीं 25 फीट ऊंचे मचान पर गोलाकार गैर बांधकर एक बकरे (Goat) को उल्टा बांधकर घुमाते हैं। लोगों को कोड़े भी मारते हैं। यहां के लोग एकता और समरसता कायम रहे इसीलिए गैर पर गोलाकार घूम घूम कर खुद को कोड़े मारकर परंपरा का निर्वहन करते हैं।

बनगवां में होलिका दहन के दूसरे दिन मेला भी लगता है। होलिका दहन से रंग पंचमी पर्व तक रायसेन जिले में कई प्रकार की परंपरा चलती हैं। परंपरा को गांव वाले आज भी बखूबी निभा रहे हैं। रायसेन के बनगवां गांव की समृद्धि और समरसता के लिए ग्रामीण मेघनाथ बाबा को नारियल मिठाई के साथ पान बताशे अर्पित कर विधि विधान से पूजा करते है।बनगवां गांव में होली के दूसरे दिन पड़वा पर शाम को हलारिया गौर व गौत्र समाज के लोग अपने कुल देवता मेघनाथ बाबा की पूजा अर्चना करते है। समाजसेवी मुरली मनोहर गौर और सीएल गौर ने बताया कि इस पूजा के दौरान यहां पर 25 फीट ऊंचे 2 खंभों पर मचान बनाया जाता है।

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जिस पर एक बकरे को बांधकर घूमाते हैं, फिर पूजा होने के बाद बकरे को वापस कर दिया जाता है। बकरे को घुमाते समय लोगों को कोड़े मारे जाते हैं, लेकिन कुलदेवता मेघनाथ बाबा के आशीर्वाद से लोगों को कोड़ों की मार का अहसास तक नहीं होता। गांव मुन्नीलाल गौर, रघुवीर गौर, गंगाराम गौर ने बताया कि जब से यह गांव बसा है, तब से यह परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन के दूसरे दिन हलारिया गौर कुर्मी गौत्र समाज के लोग कुलदेवता मेघनाथ बाबा की पूजा करते हैं। इस दौरान इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है।

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गैर पर झूलते ग्रामीण

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