बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के एक मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कृष्ण कुमार साहू और मनजीत कौर ने अजय चंद्राकर के आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.

एसीबी की जांच पर उठाए हैं सवाल

इस मामले की जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार साहू ने बताया कि कि राज्य सरकार का एंटी करप्शन विभाग ने मामले की जांच निष्पक्षता से नहीं की है. उनकी दलील है एंटी करप्शन ब्यूरो राज्य सरकार के अधीन है. लिहाज़ा इसकी जांच का ज़िम्मा सीबीआई को सौंपा जाए. इस मामले में 21 जुलाई से अब तक लगातार सुनवाई हुई है. सुनवाई की जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता मनजीत कौर बल ने लल्लूराम डॉट को बताया कि सीबीआई ने भी कोर्ट में कहा है कि कोर्ट आदेश करे तो वो इस मामले की जांच करने को तैयार है.

2013 में निचली कोर्ट ने दिया था मंत्री के खिलाफ एफआईआर का निर्देश

मामला 2013 का है जब कृष्ण कुमार साहू ने जिला कोर्ट धमतरी में अजय चंद्राकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था. मामले में कोर्ट ने एसीबी को जांच कर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे. लेकिन मंत्री ने इस आदेश पर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया.

कृष्ण कुमार साहू का मंत्री पर प्रताड़ित करने का आरोप

चूंकि इस मामले को हाईकोर्ट में केस काफी देर से दाखिल किया गया. लिहाज़ा सरकार की ओर से देरी की बिनाह पर इसे खारिज करने की मांग की गई  याचिकार्ता ने इसका प्रतिउत्तर पेश किया.

याचिकाकर्ता के वकील सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि मामला दाखिल कराने के बाद से ही कृष्ण कुमार साहू के खिलाफ झूठी याचिका दायर कर दी गई और उसे प्रताड़ित किया गया जिसके चलते उसे यहां पहुंचने में इतनी देरी हुई.

कृष्णकुमार ने कहा है कि मामला दर्ज होने के बाद मंत्री अजय चंद्राकर के घनिष्ठ मित्र और उनके चहेते ठेकेदार बजरंग अग्रवाल द्वारा उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दायर कराया गया. उन्हें धमकाया गया. परिजनों के साथ मारपीट की गई. पुलिस से भी दबाव डाला गया. इसके बाद उन पर दबाव डालकर कोर्ट में ये आवेदन पेश कराया गया कि कोर्ट मामले पर ज़ोर न दे. जिस दिन कृष्ण कुमार साहू ने कोर्ट में आवेदन दिया उसी दिन बजरंग अग्रवाल ने अपनी याचिका वापस ले ली. कृष्ण कुमार साहू ने कहा कि अजय चंद्राकर के खिलाफ एसीबी ने कोर्ट ने आदेश के बाद भी 6 महीने तक जांच नहीं की लेकिन उनके कोर्ट में आवेदन देने के दूसरे दिन से तीन दिन में जांच पूरी करके कोर्ट को दे दी गई. उनका कहना है कि उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया जिसके बाद वे किसी तरह उबरकर हाईकोर्ट पहुंचे हैं.

मंत्री अजय चंद्राकर पर गलत तरीके से कमाने का आरोप

इस मामले में करीब 1 हज़ार पन्ने की याचिका मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ लगाई गई है. कृष्ण कृमार साहू का आरोप है कि मंत्री अजय चंद्राकर ने अनाप- शनाप कमाई करने के लिए नियम कायदे को ताक पर रख दिया है.

अजय चंद्राकर ने अपनी आय  75 लाख बताई है जबकि कृष्ण कुमार साहू का कहना है 2003-2008 व 2011 से 2013 कैबिनेट मंत्री के तौर पर वेतन और  2008 से 2013 तक विधायक का पेंशन से उनकी कुल आय 27 लाख बनती है.

अपने भत्तों को भी आय में दिखाया मंत्री ने – साहू

साहू का कहना है कि अजय चंद्राकर ने अपनी आय में बतौर मंत्री मिलने वाले तमाम भत्तों को शामिल किया है जबकि ये भत्ते खर्च करने के लिए मिलते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों के लिए आय में केवल वेतन को शामिल किया है. भत्तों को आय नहीं माना है.

एक साथ लिया वेतन और पेंशन – साहू

कृष्ण कुमार साहू ने अपने आरोप में कहा है कि अजय चंद्राकर ने राज्य वित्त आयोग का 21 महीने तक अध्यक्ष रहते हुए वेतन और पूर्व विधायक का पेंशन दोनों प्राप्त किए जबकि दो पदों का लाभ कोई नहीं ले सकता है.

मंत्री रहते हुए व्यवसाय किया और सब्सिडी ली

कृष्ण कुमार साहू की ओर से जो दलील और सबूत पेश किये गए हैं उसमें ये भी आरोप लगाया गया है कि अजय चंद्राकर ने मंत्री रहते कुरुद में रुरल गोडाऊन स्कीम के तहत गोडाऊन बनवाकर उसे किराये के रुप में दे आय अर्जित की. जबकि नियमत: लोकसेवक अपने नाम से व्यावसाय नहीं कर सकता है.  यही नहीं इस स्कीम की 48 लाख रुपये सब्सिडी का लाभ भी उन्होंने लिया है. इसके अलावा इसी दौरान उनके परिजनों के नाम से कई व्यवसाय शुरु हुए.

इस मसले पर लल्लूराम डॉट कॉम ने मंत्री अजय चंद्राकर से बात करनी चाही लेकिन मंत्री चंद्राकर आवश्यक मीटिंग में व्यस्त होने की वजह से बात नहीं पाए.