अटल शुक्ला,सीधी। मध्यप्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह आज सीधी जिले के सोनगढ़ में प्रस्तावित नए बांध स्थल के विरोध में आदिवासियों के समर्थन में धरने पर बैठे. उन्होंने कहा कि मैं वायदा कर के जा रहा हूँ कि कुछ भी हो जाए, सोनगढ़ में बाँध नहीं बनेगा. गोंड वृहद् सिंचाई परियोजना के लिए बाँध बनेगा, तो पूर्व स्थल जालपानी में ही बनेगा. जहां 200 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुका है. भले ही इसके लिए हमारी कुर्बानी हो जाए. मैं पूरे जूनून से इस काम को करूंगा.
अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंशा सही नहीं है. केवल एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए बाँध स्थल जालपानी से सोनगढ़ ले जा रहे हैं. उनके ख़ास आदमी को कोयले की खदान आवंटित हुई है. जालपानी में बाँध बनने से खदान का काम नहीं हो पायेगा. इसलिए काम शुरू होने के बाद बाँध को अचानक सोनगढ़ ले जा रहे हैं. वैसे तो बाँध की जरुरत ही नहीं है. यदि जरुरत भी है तो वह जालपानी में ही बने.
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुनसिंह कोई भी योजना बनाते थे, तो अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाते थे. गरीबों और आदिवासियों का हित उनके प्राथमिकता क्रम में रहता था. उनसे तो किसी ने नहीं कहा था कि एक बत्ती कनेक्शन दो, झुग्गी झोपड़ी के पट्टे दो या आदिवासियों को तेंदूपत्ता बोनस दो. लेकिन उन्होंने अपने विवेक से ऐसी योजनायें बनाई जिनमें सिर्फ और सिर्फ गरीबों का भला हुआ है.
अजय सिंह ने कहा कि चुनाव में शिवराज सिंह के व्यक्ति की हार के बाद वे इतने बौखला गए कि उन्होंने 2008 में सीधी के दो टुकड़े कर दिए. सिंगरौली जिला बना दिया. बड़ी-बड़ी बातें कही कि सिंगरौली को सिंगापुर बना दूंगा. सिंगरौली सिंगापुर बना क्या ? अलबत्ता उनका घर जरुर सिंगापुर बन गया. भाजपा सरकार बातें बड़ी बड़ी करती है. कभी अनाज दे दिया तो कभी लोगों को आवास का लालच दे दिया. लेकिन गरीबों का काम ढेले का नहीं करते. चुनाव में मशीन का खेल होता हो या कुछ और आखिर में वोट भाजपा को चले जाते हैं. उत्तरप्रदेश इसका उदाहरण है. इसलिए आप सब से मेरा आग्रह है कि चुनाव के समय आपको बहुत सावधानी के साथ अच्छी पार्टी के अच्छे व्यक्ति का चुनाव करना है.
उन्होंने कहा कि सर्वे में बाँध स्थल सिंगरौली के जालपानी में तय किया गया.सैंकड़ों पेड़ काट दिए गए. ठेकेदार को प्रशासकीय स्वीकृति के बाद दो सौ करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया. इसलिए कुछ भी हो जाए, बाँध तो जालपानी में ही बनेगा. मैं भोपाल और दिल्ली तक शांतिपूर्ण तरीके आदिवासियों की मांग औचित्य के साथ रखूँगा.
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