लोकेश साहू, धमतरी। छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासियों के विकास की नींव रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत अजीत जोगी ने किसानों की तरक्की के लिये भी कई अहम कदम उठाये. पानी के लिये तरस रहे हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा की सौगात उन्होंने दी. धमतरी जिले में लिमतरा सिंचाई उद्वहन योजना भी अजीत जोगी की ही देन है. जिसे क्षेत्र के किसान कभी नहीं भुला पायेंगे.

बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने लंबे समय तक जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद शुक्रवार की दोपहर अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर मिलते ही हर तरफ लोग शोक में डूब गये. धमतरी जिले से जोगी का गहरा नाता होने के कारण यहां भी शोक की लहर है. अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर कलेक्टर रहते हुए उन्होने गंगरेल बांध के डूब प्रभावित आदिवासियों एवं गैर आदिवासियों को करीब सात सौ एकड़ जमीन मुहैय्या कराकर उन्हें विस्थापित कराया. इस जगह को आज ग्राम जोगीडीह के नाम से जाना जाता है. जोगी ने किसानों की बेहतरी और तरक्की के लिये भी कई अहम कदम उठाए. जिला मुख्यालय से करीब 8 किमी दूर लिमतरा सिंचाई उद्वहन योजना भी उन्हीं की देन है.

एक दशक से अटका हुआ था काम

अविभाजित मध्यप्रदेश शासन में मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा व धमतरी विधायक जयाबेन दोशी के कार्यकाल में 1986 में लिमतरा सिंचाई उद्वहन योजना के लिये 42.48 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति हुई थी. जल संसाधन विभाग द्वारा 1990 तक सिविल का काम पूरा करा लिया गया. लेकिन फंड और बिजली के अभाव में पंप लगाने का काम दस साल तक अटका रहा. इस बीच किसान लगातार आवेदन करते रहे. उस समय धमतरी विधायक रहे हर्षद मेहता ने भी काफी प्रयास किये. इधर जैसे ही 2000 में अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बने. क्षेत्र के किसानों की किस्मत चमक गई. जोगी ने बगैर कोई देरी किये पंप लगाने राशि स्वीकृत कर दी. इसके बाद दो से तीन दिन के भीतर ही लिमतरा में डिस्ट्रीब्यूशन चेम्बर बनकर तैयार हो गया. फिर पंप लगते ही उसी साल सिंचाई उद्वहन योजना से पानी छोड़े जाने की शुरुआत हो गई.

1248 हेक्टेयर रकबा की हो रही है सिंचाई

लिमतरा उद्वहन सिंचाई योजना के रुपांतरित क्षमता के अनुसार ग्राम संबलपुर, लिमतरा, परेवाडीह, धौंराभाठा, रावणगुड़ा, गोपालपुरी समेत 6 गांव के 1295 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई पानी दिया जाना था. लेकिन पहली बार जब पानी छोड़ा गया तब 1248 हेक्टेयर रकबा को ही सिंचाई पानी मिल पाया. शेष भूमि ऊपरी स्थान पर होने के कारण सिंचाई से वंचित हो गया. ऐसे में 1248 हेक्टेयर रकबा का ही एग्रीमेंट किसानों से हुआ. वर्तमान में भी इतने ही रकबा की सिंचाई लिमतरा योजना से हो रही है. जबकि शेष भूमि में अन्य निर्माण कार्य किसानों ने करा लिया है.