महाराष्ट्र में करीब एक साल पुरानी देवेंद्र फडणवीस सरकार के सामने बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। उपमुख्यमंत्री और राकांपा अध्यक्ष अजित पवार अपने पुत्र के कारण मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं। उनके बड़े बेटे पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी ने आईटी पार्क और डेटा सेंटर विकसित करने के लिए पुणे में आरक्षित सरकारी भूखंड हासिल कर लिया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस सौदे की जांच के आदेश दे दिए हैं, वहीं अजित पवार ने अपने बेटे के सौदे से खुद को अलग कर लिया है। इस मामले से पुणे ज़िले के साथ-साथ राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई है.
क्या है मामला ?
पुणे में काफी महंगे कोरेगांव पार्क क्षेत्र से कुछ दूर मुंधवा में स्थित 40 एकड़ का भूखंड अमाडिया एंटरप्राइजेस को मात्र 300 करोड़ रुपए में बेच दिया गया. जबकि इस ज़मीन की बाज़ार कीमत करीब 1804 करोड़ रुपये है. इससे भी बड़ा आरोप यह है कि इस लेन-देन के सिर्फ दो दिन बाद स्टैंप ड्यूटी माफ कर दी गई. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि स्टैंप ड्यूटी के तौर पर सिर्फ 500 रुपये भरे गए.
विपक्ष का हमला…
विपक्ष अब इस कथित घोटाले को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में जुट गया है. स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान इस घोटाले के आरोपों ने अजित पवार समेत महायुति को भी बैकफुट पर ला दिया है. विपक्ष ने अपनी आलोचना तेज़ कर दी है और सवाल उठाया है कि ईडी कहां गया.
एक्शन मोड में मुख्यमंत्री, तहसीलदार निलंबित …
पार्थ पवार ज़मीन मामला सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे ज़मीन मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, पुणे के तहसीलदार सूर्यकांत येवले को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. हवेली नंबर तीन के द्वितीय उप पंजीयक रवींद्र तारू को भी निलंबित कर दिया गया है.
पंजीकरण महानिरीक्षक रवींद्र बिनवाडे ने ‘पीटीआई’ को बताया कि उन्होंने यह पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है कि सरकारी जमीन एक निजी फर्म को कैसे बेची गई और यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या मानदंडों के अनुसार छूट दी गई थी.
उन्होंने कहा, “छूट का दावा करने के लिए जमा किए गए दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी. समिति यह भी देखेगी कि पंजीकरण के दौरान किस तरह के दस्तावेज़ पेश किए गए थे. लेकिन तत्काल कार्रवाई के तौर पर हमने उप-पंजीयक को निलंबित कर दिया है, क्योंकि अगर यह सरकारी ज़मीन है तो पंजीकरण नहीं होना चाहिए था.”
राजस्व विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि संपत्ति के एक प्रमुख दस्तावेज़, ‘7/12 एक्सट्रैक्ट’ में ज़मीन ‘मुंबई सरकार’ के नाम पर है. उन्होंने कहा, “संपत्ति कार्ड पर उन मालिकों के नाम दर्ज हैं जिन्होंने इसे निजी कंपनी को बेचा था.”
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