महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि पुणे में उनके बेटे की कंपनी से जुड़ी कथित सरकारी जमीन की बिक्री के मामले में जांच शुरू हो गई है और सच्चाई जल्द ही जनता के सामने आ जाएगी। पुणे जिले के बारामती में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके रिश्तेदार या करीबी लोग उनका नाम लेकर किसी तरह का गलत बयान देते हैं या नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो प्रशासन को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या है पूरा मामला ?
पुणे में काफी महंगे कोरेगांव पार्क क्षेत्र से कुछ दूर मुंधवा में स्थित 40 एकड़ का भूखंड अमाडिया एंटरप्राइजेस को मात्र 300 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। जबकि इस ज़मीन की बाज़ार कीमत करीब 1804 करोड़ रुपये है। इससे भी बड़ा आरोप यह है कि इस लेन-देन के सिर्फ दो दिन बाद स्टैंप ड्यूटी माफ कर दी गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि स्टैंप ड्यूटी के तौर पर सिर्फ 500 रुपये भरे गए। सरकार ने गुरुवार को एक उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए, मामले में शामिल एक उप-पंजीयक को निलंबित कर दिया और तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की।
वहीं, महाराष्ट्र में 300 करोड़ रुपये के भूमि सौदे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे के व्यावसायिक साझेदार दिग्विजय पाटिल समेत तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होने के एक दिन बाद शुक्रवार को पाटिल, शीतल तेजवानी और निलंबित राजस्व अधिकारी सूर्यकांत येवाले के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई। हालांकि, इस मामले में दर्ज दो एफआईआर में पार्थ पवार का नाम नहीं है। वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा था कि जमीन सौदे की जांच कानून के मुताबिक की जा रही है और किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
‘एक रुपये का लेन-देन हुए बिना रजिस्ट्री कैसे हुई?’
जब अजित पवार से इस सौदे पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मैंने बीते कुछ दिनों में इस पर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है। जांच शुरू हो चुकी है और सच्चाई जल्द सामने आएगी। मुझे अब तक यह समझ नहीं आया कि एक रुपये का लेन-देन हुए बिना रजिस्ट्री कैसे हो गई? एक महीने में सब साफ हो जाएगा कि रजिस्ट्री करने वाले ने ऐसा क्यों किया।’ वहीं, अजित पवार ने बताया कि उनके बेटे पार्थ की कंपनी की तरफ से की गई बिक्री रद्द कर दी गई है।
‘चुनाव से पहले हम पर लगते हैं आरोप’
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में जांच समिति गठित कर दी है। उन्होंने कहा, ‘पहले भी मुझ पर 70000 करोड़ रुपये की अनियमितता के आरोप लगे थे, अब 15-16 साल हो चुके हैं। हर चुनाव से पहले हमारे खिलाफ ऐसे आरोप लगाए जाते हैं। हम पारदर्शी तरीके से काम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जैसे ही कोई चुनाव आता है, लोग पुरानी जमीनें खोदने लगते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके किसी करीबी या रिश्तेदार ने उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया है, तो प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।
बता दें कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव 2 दिसंबर को होने वाले हैं। इस जमीन सौदे पर सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि विपक्ष का कहना है कि सरकारी जमीन को बिना मंजूरी के बेचना गैरकानूनी है, और इसकी वास्तविक बाजार कीमत करीब 1800 करोड़ रुपये है। अधिकारियों के मुताबिक, कंपनी को अब रजिस्ट्री रद्द कराने के लिए दोगुना स्टांप ड्यूटी, करीब 42 करोड़ रुपये, जमा करनी होगी।
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